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माँ सृष्टा

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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माँ सृष्टा की अद्भुत रचना
माँ सम कोई और नहीं।
जन्नत है माँ के चरणों में,
माँ के सिवाय ठौर नहीं॥

मिलती माँ से शक्ति हमें है,
माँ कभी नही थकती है।
बसता है परिवार अम्ब में
माँ कभी नहीं रुकती है॥

माँ ही रामायण कुरान है,
माँ ही भगवद्गीता है।
माँ वेद पुराण महाभारत,
माँ सावित्री सीता है॥

ममता ही है माँ का भूषण,
माँ ही सबसे सुंदर है।
पूरी दुनिया नदी प्यार की,
माँ प्यार का समन्दर है॥

माँ का हृदय सबसे बड़ा है,
जिसमें सब कुछ आ जाता।
माँ में ही परिवार बसत है,
पूरा संसार समाता॥

पड़े मुसीबत जब जीवन में,
याद ही माँ की आती।
दिल दुखता है माँ का जब भी,
ये दुनिया ही हिल जाती॥

पूत कपूत भले हो जाए,
माँ कभी न होय कुमाता।
खुद दु:ख सहकर भी खुश रहती,
यह जग माँ के गुण गाता॥

माँ से ही दुनिया जन्नत है,
उसी से यह संसार है।
मात की शक्ति का दुनिया में,
न कोई पारावार है॥

माँ ही जलकर दीपक सी खुद,
जग को रोशन करती है।
माँ अमृत की धार सी बनकर,
जग को सींचा करती है॥

दुनिया के सब रिश्ते-नाते,
सभी स्वार्थ के होते हैं।
माँ होती निःस्वार्थी केवल,
सब जिसे स्वीकारते हैं॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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