एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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माता हमारी,
चाँद-सूरज जैसी-
है वह न्यारी।
माता का प्यार,
अदृश्य वात्सल्य का-
फूलों का हार।
माता का क्रोध,
हमारे भले लिए-
कराता बोध।
घर की शान,
माता रखती ध्यान-
करो सम्मान।
माँ का दुलार,
भुला दे हर दुःख-
चोट ओ हार।
माता का ज्ञान,
माँ प्रथम शिक्षक-
बच्चों की जान।
घर की नींव,
मकान घर बने-
लाए करीब।
त्याग मूरत,
हर दुःख सहती-
हो जो सूरत।
प्रभु का रूप,
सबका रखे ध्यान-
स्नेह स्वरूप।
घर की धुरी,
ममता दया रूपी-
प्रेम से भरी।
आँसू बच्चों के,
माँ ये देख न पाए-
कष्ट बच्चों के।
प्रेम निशानी,
माँ जीवनदायिनी-
त्याग कहानी।