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मेरी लिपि मेरी शान,क्यों करूँ विदेशी का गुणगान पर हुआ चिंतन

राष्ट्रीय गोष्ठी

मुंबई(महाराष्ट्र)l भारतीय भाषा मंच,वैश्विक हिंदी सम्मेलन एवं नागरी लिपि परिषद की ओर से राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन गूगल मीट पर किया गया। इसका विषय था-मेरी लिपि मेरी शान,क्यों करूं विदेशी का गुणगान। इसकी अध्यक्षता डॉ. विनोद बब्बर(सदस्य नागरी लिपि परिषद) ने की। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. मोतीलाल गुप्ता(निदेशक-वैश्विक हिंदी सम्मेलन एवं पूर्व उपनिदेशक राजभाषा,गृह मंत्रालय भारत सरकार,मार्गदर्शक-हिंदीभाषा डॉट कॉम-www.hindibhashaa.com) ने भाग लियाl ईश्वर दयाल(राष्ट्रीय सह संयोजक भारतीय भाषा मंच )एवं डॉ. ब्रजेश गौतम(अध्यक्ष संस्कृत शिक्षक संघ,दिल्ली) का सान्निध्य रहा।
गोष्ठी में डॉ. गुप्ता ने बताया कि, किस तरह हम कम्प्यूटर में हिंदी देवनागरी अथवा अन्य भारतीय भाषाओं की लिपि को टाइप (टंकित) कर सकते हैं। अपना कम्प्यूटर खोलें,उसके बाद कंट्रोल पैनल पर जाएं और फिर क्लॉक एंड रीजन पर जाएं। उसके बाद लैंग्वेज पर हिंदी,गुजराती मराठी जो भी इच्छा हो,उस भाषा का चयन करें। उसके बाद इच्छित की बोर्ड (कुंजी) को सक्रिय करें। इस तरह से यहां पर आप हिंदी,गुजराती,मराठी, देवनागरी या अन्य किसी लिपि को टाइप करना शुरू कर सकते हैं। विशेष अक्षरों के लिए शिफ्ट की दबाकर काम करना है। आपने बताया कि आप अब बोल कर टाइप कर सकते हैं। इस तरह आप माइक,माइक्रोफोन लगा कर के बोलकर टाइप करना सीख सकते हैं।
आपने बताया कि,मोबाइल पर अपनी भाषा और लिपि में लिखना और भी आसान है। कुछ शब्दों की वर्तनी अशुद्ध हो सकती है,उनको ठीक करने के लिए हस्त टंकण से ठीक करें। टंकण के समय आराम से बोलना जरूरी है। उच्चारण स्पष्ट होना चाहिए। उच्चारण स्पष्ट होगा तो गूगल वॉइस आपकी आवाज के अनुसार टाइप करेगा। इस तरह आप अपनी भाषा और लिपि की फाइल को किसी और को भी साझा कर सकते हैं।
डॉ. ब्रजेश गौतम ने अपनी भाषा और लिपि की सुरक्षा हेतु प्रयोग आवश्यक बताया। अपनी भाषा और लिपि का खुद ही संरक्षण और संवर्धन करने के लिए कहा कि,किसी दूसरे से अपेक्षा न करें। आपकी अपनी लिपि का खुद ही प्रचार-प्रसार करेंगे तो लिपि बचेंगी।
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए डॉ. बब्बर ने बताया कि हमें अपनी भाषा और लिपि में तथा देवनागरी लिपि में भी लिखना चाहिए,ताकि अपनी भाषाओं को दूसरे लोगों तक पहुंचा सकें। हमें अंग्रेजी के शॉर्ट्स रूप में नहीं जाना चाहिए। २६ अक्षर है,इसलिए अंग्रेजी ठीक है ऐसा नहीं है। हम ‘छत’ को लिखते हैं तो हिंदी में २ अक्षर आते हैं और अंग्रेजी में ५ अक्षर आते हैं। आप समझ सकते हैं कि कम अक्षर किसमें आते हैं। हम दूसरे की बात क्यों करें,अपनी लिपि की विशेषताएं खुद बताएं,क्योंकि देवनागरी की विशेषता है-जैसी लिखी जाती है,वैसी ही पढ़ी जाती है। जैसी पढ़ी जाती है,वैसी सुनी जाती है,और उसी तरह से उसका अर्थ भी निकलता है। अंग्रेजी में बोला कुछ जाता है,लिखा कुछ जाता है,समझा कुछ और जाता है। ईश्वर दयाल ने सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि,हर व्यक्ति को अपनी भाषा को टाइप करना सीखना चाहिए। तभी भाषा और लिपि प्रयोग में बढ़ती जाएगी। हमें सोशल मीडिया पर अपनी लिपि में ही लिखना चाहिए। अन्यथा एक दिन ऐसा भी आएगा कि,हमारी लिपि के साथ हमारी भाषाएं भी समाप्त हो जाएंगी। हमें सरकार को सचेत करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में श्रोताओं के प्रश्नों का उपस्थापन राहुल शर्मा (रेडियो जॉकी) ने कियाl तकनीकी सहयोग डॉ. संदीप उपाध्याय और डॉ. सोहन कुमार ने किया। इस वेबिनार में ९७० लोगों ने पंजीकरण करायाl सभी प्रतिभागियों ने गोष्ठी को उपयोगी और ज्ञानवर्धक बताया। वेबिनार का संचालन डॉ. वी. दयालु (संयोजक-भारतीय भाषा मंच दिल्ली) ने किया।

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)

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