प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
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नया सवेरा आ गया,सबको करूँ प्रणाम।
हम मिलजुल करके करें,पूरा हो सब काम॥
फूल खिले हैं बाग में,भौरें भी मँडराय।
नया सबेरा छा गया,पंछी गाना गाय॥
निकला सूरज भोर में,सारा जग चमकाय।
कल-कल कर नदियाँ बहे,झरने भी लहराय॥
हँस रही है वसुंधरा,पत्ते शोर मचाय।
तितली उड़ती जा रही,बागों पर इठलाय॥
कोयल कूके पेड़ पर,मीठा गीत सुनाय।
फल ताजे-ताजे लगे,सारे मिलकर खाय॥