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विकास को पुनर्जीवित करने हेतु पैदा करने होंगे नए अवसर

डॉ.सत्यवान सौरभ
हिसार (हरियाणा)
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कोविद-१९ महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बदल दिया है और भारत में भी इसके गहरे प्रभाव पड़े हैं। राष्ट्रव्यापी तालाबन्दी की वजह से घरेलू मांग में कमी ने अर्थव्यवस्था को २०२०-२१ की पहली तिमाही में संकुचित कर दिया है और इसके प्रभाव भविष्य में दिखने की संभावना है। फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विषाणु के प्रकोप को कम करने के लिए स्वास्थ्य और आर्थिक दोनों दृष्टिकोण से निर्णायक और सराहनीय कार्यवाही की है,मगर दुनियाभर में कोरोना के इलाज के अभाव ने लोगों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। भारत में लोगों में इस तरह की चिंता की भावना जबरदस्त उथल-पुथल पैदा कर सकती है। नतीजतन ये हमारी आजीविका और बड़ी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।
१२ मई २०२० को प्रधानमंत्री ने २० लाख करोड़ के कुल मूल्य के एक महामहिम प्रोत्साहन पैकेज का अनावरण किया,जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग १० फीसदी है,यह दुनिया की सबसे बड़ी राहत योजनाओं में से एक है। ये प्रोत्साहन पैकेज उन व्यवसायों को पुनर्जीवित करने में मदद कर सकता है,जो पैसों के अभाव में मुश्किल हो रहा है।
आज बड़े व्यावसायिक घरानों को सरकार द्वारा प्रोत्साहन के माध्यम से फिर से खोलने या कच्चे माल या अन्य वस्तुओं और सेवाओं की खरीद में आसानी के लिए प्रयास किया जाना चाहिए,क्योंकि इससे उपभोक्ता मांग में वृद्धि होगी और विक्रेता या सहायक उद्योग के कामकाज को बढ़ावा मिलेगा, जिसमें रोजगार सृजन की बड़ी संभावनाएं हैं। आरबीआई को सभी बैंकों द्वारा आवश्यकतानुसार,व्यापार ऋण के पुनर्गठन के लिए सिंगल वन टाइम विंडो पर विचार करना चाहिए। बैंकों को आश्वस्त करने की तत्काल आवश्यकता है कि,उनके व्यापारिक निर्णयों पर सवाल नहीं उठाया जाएगा, जिससे ऋण प्रवाह को प्रोत्साहित किया जा सके।
भारत को एक वैश्विक व्यापारिक केन्द्र बनाने हेतु भारत को वैश्विक व्यापार संचालन स्थापित करने वाली कंपनियों के लिए एक प्रोत्साहन शासन तैयार करना होगा। राज्यों को स्व-निहित औद्योगिक शहरों को स्थापित करने के बारे में सोचना चाहिए जो विनिर्माण,वाणिज्यिक,शैक्षिक,आवासीय और सामाजिक बुनियादी ढांचे के लिए स्थान निर्धारित करते हैं। सरकार द्वारा पहचाने गए १० क्षेत्र-इलेक्ट्रिकल,फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरण,मोटर वाहन,खनन, इलेक्ट्रॉनिक्स,भारी इंजीनियरिंग,नवीकरणीय ऊर्जा,खाद्य प्रसंस्करण,रसायन और वस्त्र मेक इन इंडिया अभियान में फिट होते हैं। इनमें जापान,अमेरिका और दक्षिण कोरिया पहले ही रुचि दिखा चुके हैं।
बैटरी विनिर्माण (भंडारण प्रणाली)-सौर पैनल निर्माण को फिर से कल्पना के हिस्से के रूप में प्रोत्साहित करना चाहिए। सरकार ब्लॉकचैन,रोबोटिक्स,एआई,मशीन लर्निंग, संवर्धित वास्तविकता आदि को प्रोत्साहन देने पर भी विचार कर सकती है। भारत वैश्विक स्तर पर शीर्ष स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में शामिल है। स्टार्ट-अप न केवल नवाचार को चलाने में मदद करते हैं,बल्कि रोजगार भी पैदा करते हैं,जो आगे जाकर बहुत महत्वपूर्ण होगा। सरकार को स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है।
ऑटो उद्योग जो जीडीपी (लगभग ९ फीसदी ) में महत्वपूर्ण योगदान देता है,इसलिए ये विशेष उपचार का हकदार है। जीएसटी दर को कम करने के अलावा नए वाहनों की मांग बनाने के लिए कर प्रोत्साहन के साथ पुरानी वाहन कबाड़ नीति तैयार की जा सकती है। भारतीय प्रवासी के प्रत्यक्ष निवेश को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए,विदेशी सहायक कंपनियों से लाभांश पर सकल आधार पर १५ की मौजूदा दर को घटाकर ५ फीसदी करने की जरूरत है। इससे धन की अधिक आमद होगी और स्थानीय परियोजनाओं को समर्थन मिलने की उम्मीद जागेगी।
किसी भी देश के विकास इंजन को पुनर्जीवित करने के लिए बहुत कुछ किया जाना चाहिए। आज के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर भारत को वर्तमान संकट को सफलतापूर्वक हल करने और उसके बाद दृढ़ता से उबरने के लिए दोतरफा रणनीति की आवश्यकता है। पहला-कोविद के कारण होने वाले नुकसान को कम करना और दूसरा तुरंत नए अवसरों का फायदा उठाकर पुनर्प्राप्ति के लिए एक रास्ता साफ करना। इस रणनीति पर तुरंत काम होना चाहिए।

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