कुल पृष्ठ दर्शन : 342

शोर मचाते आये बादल

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
********************************************************************************************
घूम-घूम के आये बादल,
झूम-झूम के आये बादल
हर्षित मन है छाये बादल,
शोर मचाते आये बादल।

मेंढक ने छाता जो खोला,
तब चींटी का मन है डोला
पत्तों की एक नाव बनाई,
खूब सबको सैर कराई।
पानी कहां छिपाये बादल,
शोर मचाते आये बादल॥

भालू के घर भरा है पानी,
याद आ गई उसको नानी
बन्दर हैलीकॉप्टर लाया,
दूर गुफा में छोड़ के आया।
अच्छी झड़ी लगाये बादल,
शोर मचाते आये बादल॥

भौंरा-तितली घूम-घूम के,
गिरा रहे खाने के पैकेट
चुहिया रानी तैर-तैर के,
बांट रही है फल,बिस्कुट।
बाढ़ भी साथ लाये बादल,
शोर मचा कर आए बादल॥

आपात-काल विभाग बनाया,
चट्टानों पर टैंट लगाया
शेर को रक्षा-कमान सौंपी,
पहरेदार बनाया हाथी।
बस!अब,तुम से सब घबराये बादल,
शोर मचाते आये बादल॥

परिचय-राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।