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विजयश्री ही नहीं,समझदारी भी दिखानी

रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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इटली,स्पेन,अमेरिका जैसी विदेशी ताकतों पर प्रकृति की मार ‘कोरोना’ महामारी के माध्यम से देखते हुए हमें यह सतर्कता जरूरी थी,जो पहले सरकारी फरमान द्वारा लागू की गई थी। २१ दिन की ‘तालाबंदी’ हमने सफलतापूर्वक बिता ली है,और अब यदि हम आगे की भी सफलतापूर्वक तय कर लेते हैं तो इस महामारी पर तो विजय पा ही सकते हैं,साथ ही विदेशियों द्वारा अब तक भारत को पिछड़े और गंवार से समझने वाले लोगों की नजरों में हम अपनी समझदारी भी स्थापित कर सकते हैं। हम यह कर सकते हैं कि भारत यह कह सकता है कि,हम किसी से भी पीछे नहीं हैं। जो काम भारत कर सकता है, वह शायद विश्व में कोई नहीं कर सकता,तो यही वक्त है हमें महामारी पर विजयश्री पाने व संयम से रहने का। साहस दिखाएं,मन पक्का करें,सरकारी फरमान का पालन करें। आप अपने को सुरक्षित रखें,ताकि हम विश्व में अपना नया कीर्तिमान स्थापित कर सकें। विश्वास कीजिए कि हम यह कर सकते हैं,हमें यह करना है और हम यह करेंगे।

परिचय-रश्मि लता मिश्रा का बसेरा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में है। जन्म तारीख़ ३० जून १९५७ और जन्म स्थान-बिलासपुर है। स्थाई रुप से यहीं की निवासी रश्मि लता मिश्रा को हिन्दी भाषा का ज्ञान है। छत्तीसगढ़ से सम्बन्ध रखने वाली रश्मि ने हिंदी विषय में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण(सेवानिवृत्त शिक्षिका )रहा है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत समाज में उपाध्यक्ष सहित कईं सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं में भी पदाधिकारी हैं। सभी विधा में लिखने वाली रश्मि जी के २ भजन संग्रह-राम रस एवं दुर्गा नवरस प्रकाशित हैं तो काव्य संग्रह-‘मेरी अनुभूतियां’ एवं ‘गुलदस्ता’ का प्रकाशन भी होना है। कईं पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में-भावांजलि काव्योत्सव,उत्तराखंड की जिया आदि प्रमुख हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-नवसृजन एवं हिंदी भाषा के उन्नयन में सहयोग करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ एवं मुंशी प्रेमचंद हैं। प्रेरणापुंज-मेहरून्निसा परवेज़ तथा महेश सक्सेना हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी भाषा देश को एक सूत्र में बांधने का सशक्त माध्यम है।” जीवन लक्ष्य-निज भाषा की उन्नति में यथासंभव योगदान जो देश के लिए भी होगा।