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हम हैं भारतवासी,हमारी खास पहचान

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ 
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)

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हर सुबह ऊषा कीबेला संग लाती नव जीवन का संकल्प मधुर मुस्कान,
हम हैं भारतवासी,हमारी खास पहचान।

हर ऊषा की बेला में मन्दिर में घंटे घड़ियाले बजते,मस्जिद में फज़र नमाज,
चर्च में प्रेयर,गुड मॉर्निंग का ऑल माइटी गॉड।
हम हैं भारतवासी,हमारी खास पहचान…

मुर्गे की बांग गाँव में ऊषा की बेला की पहचान,शान,
जगता अन्नदाता किसान,खेतों की हरियाली भारत की खुशहाली का पैगाम।
हम हैं भारतवासी,हमारी खास पहचान…

हर ऊषा की बेला में रागी,राग,रागिनी,शबद-कीर्तन गुरुओं की वाणी,
गुरुवाणी प्यार-मोहब्बत भाईचारे वंदे मातरम् का हिंदुस्तान।
हम हैं भारतवासी,हमारी खास पहचान…

देवों,ऋषियों की भूमि,नारी शक्ति का वंदन अभिनंदन,
हर ऊषा की बेला नारी शक्ति के अर्घ्य आराधना की गूँज नव दुर्गा,काली जग धारिणी,तारिणी की मंगल स्तुति गान।
हम हैं भारतवासी,हमारी खास पहचान…

हर ऊषा की बेला मजदूर महत्व की आशा-विश्वास,
आशाओं के अम्बर का योद्धा महान,श्रमेव जयते का स्वाभिमान।
हम हैं भारतवासी,हमारी खास पहचान…

नौजवान की प्रेरणा,प्रकाश ऊषा की बेला उर्जा,उत्साह,
उद्देश्य भविष्य का निर्माण,सत्कार,सम्मान।
हम हैं भारतवासी,हमारी खास पहचान॥

परिचय–एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।
अनपढ़ औरत पढ़ ना सकी फिर भी,
दुनिया में जो कर सकती सब-कुछ।
जीवन के सत्य-सार्थकता की खातिर जीवन भर करती बहुत कुछ,
पर्यावरण स्वच्छ हो,प्रदूषण मुक्त हो जीवन अनमोल हो।
संकल्प यही लिए जीवन का,
हड्डियों की ताकत से लम्हा-लम्हा चल रही हूँ।
मेरी बूढ़ी हड्डियां चिल्ला-चीख कर्,
जहाँ में गूँज-अनुगूँज पैदा करने की कोशिश है कर रही,
बेटी पढ़ाओ,बेटी बचाओ,स्वच्छ राष्ट्र, समाज,
सुखी मजबूत राष्ट्र,समाज॥

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