एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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पिता हमारे-
संकट में रक्षक,
ऐसे सहारे।
पिताजी सख्त-
घर पालनहार
ऊँचा है तख्त।
पिता का साया-
ये बाजार अपना,
मिले ये छाया।
पिता गरम-
धूप में छाँव जैसे,
है भी नरम।
घर की धुरी-
परिवार मुखिया,
हलवा पूरी।
पिता जी माता-
हमारे जन्मदाता,
सब हो जाता।
पिता साहसी-
उत्साह का संचार,
मिटे उदासी।
पिता से धन-
हो जीवन यापन,
ऋणी ये तन।
पिता कठोर-
भीतर से कोमल,
न ओर छोर।
शिक्षा संस्कार-
होते जब विमुख,
खाते हैं मार।
पिता का मान-
न करो अनादर,
ये चारों धाम।