अर्चना नायडू
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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काव्य संग्रह हम और तुम से
वक़्त से खुद को चुराकर,
आज अरसे बाद मैंने
रंगों से कर लिया श्रृंगार…,
और पहन ली
नीले अम्बर की चोली!
मदहोश हवाओं ने
बैंगनी ख्वाबों को
बनाकर कजरा,
सजा दिया
सुरमई आँखों में!
झूमती गाती आरुषि किरणों ने,
ओढ़ा दी पीली चुनरिया!
वसुधा ने बाँहों में बांध कर,
पहना दिया हरियाला लहँगा!
सिंदूरी रोली ने,
अपने सुर्ख शबाब से
माथे में टिकुली लगाकर,
भर दी सुहागन की माँग!
सूरज ने बिखेर दी,
मुग्ध लाज की लाली
मेरे गालों पर!
लो,रंग गई मेरी
सुबहो-शाम,
तेरे आसमानी ख्वाइशों के
पंख पाकर,
अब मेरे पास आकर
मेरे पिया…!
मेरी साँसों को अपने
इंद्रधनुषी प्यार से,
सराबोर कर दो!!