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धर्म-कर्म सब नेक हो

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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धर्म-कर्म सब नेक हो,रचो एक इतिहास।
राह कठिन गर हो भले,होवे सतत् प्रयास॥

दीन-हीन मानव सभी,होते हैं लाचार।
करके सेवा धर्म से,करो सभी उपकार॥

धर्म-कर्म करते चलो,दीन-हीन उपकार।
झूठ-कपट बाजार में,मत बिकना हर बार॥

अपनी संस्कृति राखिये,छोड़ विदेशी राग।
अपना धर्म बचाइये,हे मानव अब जाग॥

राम जन्म का वो समय,अवतारी बन आय।
ध्वजा पताका धर्म की,लहर लहर लहराय॥

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