मधु मिश्रा
नुआपाड़ा(ओडिशा)
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शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष…..

शरद पूर्णिमा की रात से मौसम में परिवर्तन होने लगता है,पूनम का चाँद गुलाबी ठंड की अँगुली थामे चला आता है मौसम को ख़ुशग़वार करने…l जी हाँ,यहीं से ठंड अपनी दस्तक देने लगती हैl आयुर्वेद के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात यदि हम दूध में सोंठ,मिश्री और सौंफ मिश्रित खीर को खुले आसमान के नीचे रखते हैं,तो उसमें औषधीय गुण समाहित हो जाते हैं,जो शरीर को स्वस्थ ऊर्जा प्रदान करते हैंl मान्यता है कि इस रात्रि को किया गया योग ध्यान भी शरीर को उत्तम बल प्रदान करता हैl
धार्मिक महत्व के रूप से यदि देखा जाए तो शैव सम्प्रदाय का मानना है कि इस दिन कुमार कार्तिकेय का जन्म हुआ था,इसलिए इसे कुमार पूर्णिमा
भी कहा जाता है,और इसी नाम से पश्चिम बंगाल और ओडिशा में ये व्रत भी किया जाता हैl इस दिन कुमारी कन्याएं प्रातः स्नान करके सूर्य और चन्द्रमा की पूजा करती हैं। माना जाता है कि इससे उन्हें योग्य पति की प्राप्त होती हैl इस दिन माँ लक्ष्मी की मिट्टी की नयी मूर्ति की पूजा ऋतु फल और नारियल के साथ की जाती है,नयी मूर्ति को वर्षभर रखा जाता है और पुरानी को विसर्जित कर दिया जाता हैl
शरद पूर्णिमा का भगवान श्री कृष्ण और राधा की अद्भुत रासलीला से भी सम्बन्ध हैl श्री वृन्दावन के निधि वन में आज भी संध्या के बाद कोई नहीं जाताl मान्यता है कि द्वापर युग की रास लीला की ही तरह आज भी कन्हैया वहाँ रास रचाने आते हैं। तो फ़िर,अनादिकाल से चली आ रही इस पवित्र प्रथा का आइए हम भी निर्वाह करें। शरद-चंद्र की रात खुले आसमान के नीचे रखी गई हमारी भी खीर में वो सारे औषधीय गुण अभिषिक्त हो जाएँ, जो हमारे शरीर को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करें और इसका प्रसाद के रूप में सेवन हमें आस्थावान बनाएl
परिचय-श्रीमती मधु मिश्रा का बसेरा ओडिशा के जिला नुआपाड़ा स्थित कोमना में स्थाई रुप से है। जन्म १२ मई १९६६ को रायपुर(छत्तीसगढ़) में हुआ है। हिंदी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती मिश्रा ने एम.ए. (समाज शास्त्र-प्रावीण्य सूची में प्रथम)एवं एम.फ़िल.(समाज शास्त्र)की शिक्षा पाई है। कार्य क्षेत्र में गृहिणी हैं। इनकी लेखन विधा-कहानी, कविता,हाइकु व आलेख है। अमेरिका सहित भारत के कई दैनिक समाचार पत्रों में कहानी,लघुकथा व लेखों का २००१ से सतत् प्रकाशन जारी है। लघुकथा संग्रह में भी आपकी लघु कथा शामिल है, तो वेब जाल पर भी प्रकाशित हैं। अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में विमल स्मृति सम्मान(तृतीय स्थान)प्राप्त श्रीमती मधु मिश्रा की रचनाएँ साझा काव्य संकलन-अभ्युदय,भाव स्पंदन एवं साझा उपन्यास-बरनाली और लघुकथा संग्रह-लघुकथा संगम में आई हैं। इनकी उपलब्धि-श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान,भाव भूषण,वीणापाणि सम्मान तथा मार्तंड सम्मान मिलना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-अपने भावों को आकार देना है।पसन्दीदा लेखक-कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद,महादेवी वर्मा हैं तो प्रेरणापुंज-सदैव परिवार का प्रोत्साहन रहा है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी मेरी मातृभाषा है,और मुझे लगता है कि मैं हिन्दी में सहजता से अपने भाव व्यक्त कर सकती हूँ,जबकि भारत को हिन्दुस्तान भी कहा जाता है,तो आवश्यकता है कि अधिकांश लोग हिन्दी में अपने भाव व्यक्त करें। अपने देश पर हमें गर्व होना चाहिए।”