कुल पृष्ठ दर्शन : 342

You are currently viewing श्रद्धेय शिक्षक

श्रद्धेय शिक्षक

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
************************************************

शिक्षक दिवस विशेष………..

रास्ते पर मैं पड़ा था ठोकरें खाता हुआ,
हाथ से तुमने तराशा और हीरा बन गया…
मायूसियों के अंधेरों से घिरा जीवन मेरा,
बन के सूरज आपने राहों को रोशन कर दिया।

था चमन का फूल मैं धरती पर मुरझाया हुआ,
आपका स्पर्श पा ईश्वर की माला बन गया…
कच्ची मिट्टी जैसा था वो नन्हा-सा बचपन मेरा,
आपके हाथों में आ पूजा का घट मैं बन गया।

थी नहीं कोई भी इच्छा सीखने की ज्ञान को,
आपकी शरण में विद्या का उपासक बन गया…
धृष्टता उद्दंडता से परिपूर्ण था व्यक्तित्व मेरा,
आपकी संगत में मैं चंदन-सा शीतल बन गया।

काँपता था पर्ण-सा जीवन के संघर्षों से मैं,
आपके ही ज्ञान से साहस की मूरत बन गया…
थी नहीं हृदय में करुणा भावना से शून्य था,
जब आपकी देखी दया,मोम-सा मैं बन गया।

आप माता-आप पिता आप ही भाई-बहिन,
आपको देखा तो चेहरा फूल-सा खिल गया…।
इस जगत में कौन है देखा है जिसने ईश्वर,
आपको देखा तो प्रभु का चेहरा मिल गया॥

परिचय-डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी ने एम.एस-सी. सहित डी.एस-सी. एवं पी-एच.डी. की उपाधि हासिल की है। आपकी जन्म तारीख २५ अक्टूबर १९५८ है। अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित डॉ. बाजपेयी का स्थाई बसेरा जबलपुर (मप्र) में बसेरा है। आपको हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। इनका कार्यक्षेत्र-शासकीय विज्ञान महाविद्यालय (जबलपुर) में नौकरी (प्राध्यापक) है। इनकी लेखन विधा-काव्य और आलेख है।

Leave a Reply