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शिक्षा अंतर्निहित पूर्णता

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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शिक्षक दिवस विशेष………..

शिक्षा है वो सामाजिक प्रक्रिया,
निर्माण करना है इसका उद्देश्य
सभ्य सुयोग्य सुसंस्कृत नागरिक,
कर्म व्यवहार व सफल समावेशl

सीखने-सिखाने की हुई क्रिया,
वैदिक काल सर्वांगीण विकास
जागा मन में जब ऐसा प्रकाश,
आदिकाल में गुरूकुल प्रचलनl

मध्यकाल संकुचित जो हुआ,
धर्म से शिक्षा को जोड़ा गया
आधुनिक युग लाया विस्तार,
सर्वांगीण विकास को बढ़ चलाl

शिक्षा प्रकाश का है सुंदर स्रोत,
बनती जीवन का पथ-प्रदर्शक
करती सुंदर व्यक्तित्व निर्माण,
उचित आचरण और व्यवहारl

कौशलों का है विकास कराए,
व्यापार-व्यवसायों को बढ़ाए
मानसिक नैतिक केन्द्र उत्कर्ष,
सदा प्रयत्नशील पाता है हर्षl

शिक्षा समाज औ पीढ़ी द्वारा,
निचली पीढ़ी को मिलता है ज्ञान
हस्तांतरण का उत्तम प्रयास,
संस्था रूप करता सदा कामl

जोड़ती यह व्यक्ति विशेष को,
बनाए रखती है यह निरन्तरता
समाज की संस्कृति उद्देश्य के,
पीढ़ी का चक्षु खुले मिले ज्ञानl

शिक्षा अमूल्य है वो अनुपम,
मनुष्य की ये बुझाए पिपासा
अन्तर्निहित पूर्णता अभिव्यक्ति,
और बढ़ाए मन की है शक्तिl

शिक्षा है एक व्यापक माध्यम,
छात्रों का हो अनुभव विकास
अनुदेश शिक्षण औ प्रशिक्षण,
शिक्षित प्रगति हो देश समाजl

विद्या विचारों के चक्षु खोले,
ज्ञान का उपयोग हो अनुपमl
कर्मज्ञान जब हो सर्वोत्तम,
शिक्षक कहलाए अति उत्तमll

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है

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