राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड)
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संकट काल है भाई संकट काल,
बचने को नहीं मिल रही हमें ढाल।
रखो सभी हृदय से अपना ख्याल,
‘कोरोना’ ने मचा रखा है भारी बवाल।
कोरोना जो जहां से भाग गया था,
पुनः मजबुत हो लौटकर आया है।
आते ही होकर क्रोधित मंडराया है,
फिर जग को वह बहुत डराया है।
अब वह रह-रहकर बदल रहा रूप,
जाड़ा हो या गर्मी,छाँव हो या धूप ।
देखे जाते ही बदलते नया स्वरूप,
देखो बनी नहीं सटीक दवा या सूप।
कोरोना के बहुत बढ़ रहे मरीज,
अस्पताल में घट रही है हर चीज।
देखो कमी के इस संकटीय दौर में,
सावधानी बरतो सभी हर मोड़ में।
बीमारी में बना हुआ है एक संदेह,
परिजनों को मिलती नहीं मृत देह।
सरकार लगाओ तुम सीसीटीवी कैमरे,
अपनों को देखेंगे लोग शाम-सवेरे।
कहता ‘राजू’ बचाव का एक मंत्र,
मॉस्क और दो गज दूरी है यंत्र।
हाथ के स्पर्श से रहें सभी दूर ,
मन से मन को जोड़े रहें जरूर।
पहले दौर में कोरोना को भगाया था,
हमने संपूर्ण तालाबंदी लगाया था।
इस दौर,वह हो गया है खलनायक,
कोरोना का दूसरा दौर है भयानक॥
परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।