कुल पृष्ठ दर्शन : 423

You are currently viewing कोई अपना-सा

कोई अपना-सा

शिवनाथ सिंह
लखनऊ(उत्तर प्रदेश)
****************************************

पीताम्बर जब प्राइवेट वार्ड के एक कमरे में पहुँचा तो देखा कि बाबू विलासराव बिस्तर पर अचेतावस्था में पड़े हुए थे। एक ओर कैथेटर लगा था तो दूसरी ओर एक-दो मशीनें भी। उनके पास दवाओं का ढेर जरूर लगा हुआ था पर पास में कोई सहयोगी न था। बहुत अजीब-सा वातावरण था,तभी एक नर्स उस कमरे में पहुँचकर अपने काम में व्यस्त हो गई। नर्स का काम पूरा हुआ तो पीताम्बर स्वयं को रोक न सका और विलासराव के बारे में बातें शुरु कर दी। पता चला कि वे अपने जीवन की अंतिम अवस्था तक पहुँच चुके हैं। चूँकि,उनके बचने की कोई आशा नहीं है,अतः उनके तीमारदारों ने भी किनारा-सा कर लिया है तथा उन्होंने अस्पताल के खर्चे भर का भुगतान कर देना ही अपना उत्तरदायित्व समझ लिया है। अस्पताल वाले भी निष्ठापूर्वक जितना कर सकते हैं,कर रहे हैं। स्थिति के बारे में जानकर पीताम्बर का मन छोटा-सा हो गया। उसने मन ही मन कुछ सोचा और स्वयं को विलासराव से जोड़ लिया।
इसे विडम्बना ही कहेंगे कि,उस अस्पताल में आज पीताम्बर की नियुक्ति का पहला दिन था और अब वह एक ऐसे मरीज के सामने खड़ा हुआ था,जो उसे कोई अपना-सा लग रहा था। वह थोड़े समय के लिए बेचैन हुआ जरूर लेकिन ड्यूटी भी तो करनी थी,अत: शीघ्र ही अपने काम में व्यस्त हो गया।
शाम को जब डॉक्टर के दौरे का समय हुआ तो उस कमरे में वह भी उनके साथ था। सब-कुछ ठीक-ठाक चल रहा था कि अचानक विलासराव ने हिचकी ली और दम तोड़ दिया। देखते ही देखते कमरे का सारा माहौल बदल गया। पीताम्बर को ऐसा लगा,जैसे वे उसी का इंतजार कर रहे थे। वह अपने-आपको रोक न पाया और उसकी आँखों से आँसू कुछ ऐसे बह निकले,जैसे कोई साथ छोड़ गया हो,उसका कोई अपना- सा…।

परिचय-शिवनाथ सिंह की जन्म तारीख १० जनवरी १९४७ एवं जन्म स्थान धामपुर (बिजनौर,उत्तर प्रदेश )है। प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री सिंह की शिक्षा सिविल अभियांत्रिकी है और विद्युत विभाग से २००५ में अधिशाषी अभियन्ता पद से सेवानिवृत्त हैं। रुचि-साहित्य लेखन,कला एवं अध्यात्म में है। इनकी प्रकाशित पुस्तकों में कविता संग्रह(२०१४) सहित लेख,लघुकथा एवं कहानी संग्रह(२०१८)व मुक्तक संग्रह (२०२०) प्रमुख हैं। आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में विविध साहित्य के रुप में प्रकाशित हैं। लेखनी की वजह से विभिन्न संस्थाओं से अनेक सम्मान-पत्र एवं प्रशस्ति-पत्र प्राप्त हैं।

Leave a Reply