यूँ मने होली

डॉ.गोपाल कृष्‍ण भट्ट ‘आकुल’  महापुरा(राजस्‍थान) *************************************************************************************** (रचना शिल्प:मापनी-२१२२ २१२२ २१२२ २१२ ,पदांत-का डर न हो,समांत-अने) रंग होली में लगें यूँ भीगने का डर न होl भंग होली में पियें पर डूबने का डर न होl औपचारिकता लगे होली नहीं ऐसी मने, रंग में ना भंग हो संग छूटने का डर न होl चंग ढोलक ताल … Read more

जीवन को आसान किया है

डॉ.गोपाल कृष्‍ण भट्ट ‘आकुल’  महापुरा(राजस्‍थान) *************************************************************************************** नारी ने पुरुषों के जीवन को,आसान किया है, जीवन रूपी हवन कुण्‍ड में नित बलिदान किया है। नारी ने पुरुषों के जीवन को…॥ इतिहास उठायें,देखें नारी ने है,शौर्य दिखाया, कैकेयी,लक्ष्‍मीबाई,पद्मिनी से अरि थर्राया। जितना पुरुष समर्थ है नारी,नहीं किसी से कम अब, बीत गया वह समय आज,नारी में भी … Read more