यूँ मने होली
डॉ.गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ महापुरा(राजस्थान) *************************************************************************************** (रचना शिल्प:मापनी-२१२२ २१२२ २१२२ २१२ ,पदांत-का डर न हो,समांत-अने) रंग होली में लगें यूँ भीगने का डर न होl भंग होली में पियें पर डूबने का डर न होl औपचारिकता लगे होली नहीं ऐसी मने, रंग में ना भंग हो संग छूटने का डर न होl चंग ढोलक ताल … Read more