जैसा मैं सोचता हूँ

सतीश विश्वकर्मा ‘आनंद’ छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश) ****************************************************************************** शब्द मैंने लिखे जो अमर हो गए। कुछ तो ऐसे लिखे कि समर हो गए। बारहा वो सितम मुझपे करता रहा, मैंने हमले किये जो कहर हो गए…। हमने ज़मज़म समझकर जिसे पी लिया, ज़िन्दगी के वो प्याले ज़हर हो गए…। तेरी आगोश में खुद को बेखुद किया, सारी … Read more