अपने-अनजाने
रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ मुफ़लिसी में अपने अनजाने हुए जाते हैं।दौलत देख ग़ैर भी जाने पहचाने हुए जाते हैं। पढ़-लिख कर जब दौलत कमाने लगे बेटे,उनके बेढंग हौंसले मनमाने हुए जाते हैं। नया ज़माना नई-नई मुसीबतें लेकर आया है,उनके क़दमों रूख़ मयख़ाने हुए जाते हैं। बेटियाँ बेहया हो ससुराल में टिकती नहीं,‘लिव इन रिलेशन’ के बुतखाने हुए … Read more