कभी मेला करता रहा होगा गुफ्तगू…

डॉ.नीलम कौर उदयपुर (राजस्थान) *************************************************** रातों को सपनों में मेरे, गाँव कहीं इक आता है… जहाँ ‘कभी यादों का मेला रहा होगा।’ सूना-सूना-सा घट का पनघट, सूनी मन की चारदीवारी धड़कनों का जमघट लगता था, जिनसे ‘मैं गुफ्तगू करता था।’ हर रात चाँदनी की चादर ताने, तारों का मेला लगता था बदली झूला बनती थी, … Read more