शान्ति का परचम् लहराना है

आशा जाकड़ ‘ मंजरी’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) *********************************************************** हमें धरा पर शान्ति का परचम् लहराना है, स्वार्थ को दूर भगा इसे स्वर्ग बनाना है। खून के रिश्ते सिसक रहे, रिश्तों में आ गयी दरार। पावनता सब नष्ट हो रही, जीवन में हो रही तकरार। ईर्ष्या-द्वेष छोड़ प्रेम की जोत जलाना है, हमें धरा पर शान्ति का परचम् … Read more

‘सुषमा’ की आभा

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* हँसते-मुस्कुराते हुए ही स्वत: बंधन मुक्त किया स्वयं को, लगता मानो कहीं थी प्रतीक्षा अलौकिक में विलीन होने को। नहीं अनभिज्ञ अपने क्षणों से करती रही कर्म बिना विश्राम, दृढ़ मीठी भाषा निरन्तर प्रवाह आदर्श जीवन में कुछ देने को। सुषमा बिखेरती रही आभा छल-छल गंगा यमुना सरस्वती, … Read more

मापदण्ड

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** चलो लिखो!!! भूख और फुटपाथ, नंगी देह और अंधाधुंध सामान से पटा बाजार, कूड़े के ढेर में बोतलें ढूँढते हाथ, बड़ी-बड़ी इमारतों में शिक्षा का रहवास, और वहीं कबाड़ी के यहाँ फटी किताब, उलटते-पलटते मापदंड से बाहर, फिर-फिर उल्टे बेंत पूरा दृश्य रंगमंच की शोभा लजा रहा है, … Read more

कलम आज उनकी जय बोल

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. प्राण हाथों मे लेकर थे वो रहते, निडर दुश्मन से भिड़ जो जाते रक्षा थल वायु जल में करते, देश पे जान न्यौछावर हर बोल कलम आज उनकी जय बोल। दृढ़ संकल्प वीरता भाषा उनके, त्याग तपस्या से वे ना मुख मोड़े कारगिल … Read more

दुश्मन के दाँत खट्टे किए

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. मेरे देश के वीर सपूतों ने लिख दी एक अमर कहानी, दुश्मन के दाँत खट्टे किए नियंत्रण रेखा के बाहर खड़ा किया ये शौर्य की गाथा जन-जन ने पहचानीl ये उन्नीससौ निन्यानवे में लिखी भारत भूमि पर, साहस और जांबाजी की मिसाल बनीl … Read more

बरसती फुहारें

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* सखी रे रिमझिम बरसती फुहारें, कान्हा आए,चल भीगें हम सारेl भली लगती बरसती फुहारें, तनमन में उल्लास जगाती, धरती की तृष्णा बुझाती, पत्ते-पत्ते पे फिसलती बूंदें डालियाँ झूम-झूम हैं गातीl सखी रे रिमझिम बरसती फुहारें, कान्हा आए,चल भीगें हम सारेl राधा रानी मुस्काती है इठलाती, छम-छम पायलियाँ हैं … Read more

कहाँ हो तुम ? आ जाओ न

आशा जाकड़ ‘ मंजरी’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) *********************************************************** बादल गरज रहे हैं बरस रहे हैं, पर मनवा मेरा सुलग रहा है,कहाँ हो तुम ? आ जाओ न। देखो साँझ हो गई है दीपक जल गये हैं, पर मन तो मेरा बुझा हुआ है,कहाँ हो तुम ? आ जाओ न। चाँद ऊपर हँस रहा है चाँदनी खिलखिला रही … Read more

चोट

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** गौर से देखने पर, दिखाई देने लगती हैं अंधेरे अकेले में, उमचकर बाहर आ गिरती हैं चोटें। सिहर उठती हैं ऐसे, जैसे छूने भर से…। और कुछ चोटें, समय की छाती पर बहती है नदी बन कर, कुछ पर्दे के पीछे छिपी रहती हैं, अपनी नियति पहचानते हुए … Read more

पहली बार मिले थे…

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* जैसे पहली बार मिले थे,वैसे ही तुम मिला कराे, जैसे पुष्प बगिया में,वैसे ही तुम खिला कराे। हर आँसू मुस्कान बने,सुख-वैभव का विस्तार हाे, ढलना है ताे शबनम बनकर किसलय से तुम ढला कराेl मिट जाता जल-जलकर प्यार में पागल परवाना, स्नेह लिये दीपक-सा मन में,देे प्रकाश तुम … Read more

पृथ्वी पर बचे रहें उनके चिन्ह

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** जब देखती हूँ मैं उगते सूरज को, उनकी बेचैनी उनकी तड़प, उनकी जीने की चाहत और दीनता उनकी अंधेरे से लड़ाई, सबका सब मेरी नसों में उतरता जाता है…। करोड़ों-करोड़ों लोग जो नहीं देख पा रहे हैं सूरज, उनके लिए सूरज को अपनी हथेली पर उगाना चाहती हूँ…। … Read more