वो ख़त

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* अब वो ज़माने कहाँ रहे ? जब इंतज़ार रहता था डाकिये का बेसब्री से, उसकी साइकिल की घण्टी सुनकर धड़कता था दिल, कि लाया होगा वो महबूब का ख़त। क्या लिखा होगा ? सोचकर घबराते थे, पाकर उनका ख़त हो जाते थे मदहोश से हम। धड़कते दिल से जब खोलते … Read more