सबको अपनाकर हिंदुस्तान बनाया

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** हिंदी ने सबको अपनाकर हिंदुस्तान बनाया है,भारत की हर भाषा के सँग मिलकर साथ निभाया।अंग्रेजी ने किन्तु खींच दी बँटवारे की कटु रेखा-काले अंग्रेजों ने अंग्रेजी का जहर पिलाया है॥ परिचय-अवधेश कुमार विक्रम शाह का साहित्यिक नाम ‘अवध’ है। आपका स्थाई पता मैढ़ी,चन्दौली(उत्तर प्रदेश) है, परंतु कार्यक्षेत्र की वजह से गुवाहाटी (असम)में … Read more

जिंदगी

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** ओस की इक बूँद-सी है जिंदगी मेरी, कभी फूल,कभी धूल कभी आग या हवा, सोख लेता सूर्य या बरसात में मिलना, है नहीं रक्षित कहीं मेरी जगह, मेरा वज़ूद। जिंदगी का चक्र, फिर भी ठेलता हुआ चल रहा हूँ देख सूरज, चाँद,तारों को अनगिनत राही, गये होंगे क्षितिज को लाँघकर … Read more

प्राची

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** प्राची के तट से उठकर दिनकर मुस्काये, खग कुल ने मधुरस में भींगे गीत सुनाये। कर्मवीर चल पड़े सपन को पूरा करने, जिससे जितना हो सम्भव,पर पीड़ा हरने। अगर उठे हो ऊपर तो सूरज बन जाओ, होकर धुर निष्पक्ष धरा रौशन कर आओ। सागर बनने की इच्छा यदि मन में … Read more

मन भर सोना दान

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** मंदिर में करते बहुत,मन भर सोना दान। भूखा खातिर है नहीं, एक अदद पकवान।। भगवन तो खाते नहीं,उन्हें चढ़े पकवान। जिनको को रोटी चाहिए,उन्हें मिला अपमानll भगवन आदी हो गए,नित सुनने को शोर। मंदिर-मस्जिद है जहां,बजता भोंपू जोरll जो जग को नित चालते,देते हर सुख भोग। उनको मंदिर में … Read more

रंग ले के आयी होली

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** रंग ले के आयी होली,अँखियों से मारे गोली। गोरियों की भींगे चोली,रंग की फुहार में। जिसका भी देखो गाल,रंग से रँगा है लाल। टोली में जवान बाल,पागल है प्यार में। गमक हवाएँ उठी,महक फिजाएँ उठी। दिल में वफ़ाएं उठी,बसंत बहार में। मन ने उड़ान भरी,आफत में जान पड़ी। सबने … Read more