भय दूर करो

अविनाश तिवारी ‘अवि’ अमोरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************************ जब भय का हो आवरण, सड़को पे दुशासन दिखते हैंl तब लीलाधर की तर्जनी से, चक्र सुदर्शन निकलते हैं। आज भय में बेटी-माताएं, `निर्भया` भयातुर लुटती हैl कभी `ट्विंकल` जैसी कली, वीभत्स कृत्य झेलती है। भय नापाक इरादे तालिबानियों का, जो आतंकी ठेकेदार हैl भय अपनों से भी घर में … Read more

श्रद्धांजलि…सूरत के लाल

अविनाश तिवारी ‘अवि’ अमोरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************************ जला सूरत,तस्वीर थी बदसूरत, प्रशासन था मौन,कैसी ये फितरतl झुलस गए मासूम,माँ उसको निहार रही, हड्डी के ढांचों में ममता निढाल विलाप रही। आग बुझी इमारत की,दिल की आग कौन बुझायेगा, क्या सिर्फ मुआवजों से मरहम लग पायेगा ? सुविधाविहीन इमारत पर कोचिंग का गोरखधंधा है, लील गया मासूमों को,मानवता … Read more

छुट्टी गर्मी की

अविनाश तिवारी ‘अवि’ अमोरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************************ लो हो गयी छुट्टियां गर्मियों की, मन में जगी आस अपनों से मिलने उत्सुक है होगी मीठी बातl कुछ शादियों में जायेंगे जमकर धूम मचाएंगे, बच्चे नाना-नानी को नाकों चने चबाएंगे दादा-दादी से मिलकर सुनेंगे नई कहानी, टीवी होगा अपना बेट-बल्ला होगा जानी नहीं घूरेंगे मम्मी-पापा,चलेगी अपनी मनमानीl छुपम-छुपाई खेलेंगे … Read more

जीवनसाथी

अविनाश तिवारी ‘अवि’ अमोरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************************ तू प्रेम है श्रद्धा है मेरा विश्वास है, प्रिये साथ तेरा हरपल मधुमास है। कर समर्पण जीवन का पल, प्रतिपल मुझे सँवारा है मान तू अभिमान मेरा हृदय तेरा सुवास है, प्रिये साथ तेरा हरपल मधुमास है। तू शीतल चाँदनी तपती धूप में छांव है, रिश्तों की कोमलता का तुझसे … Read more

शुभ जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ

हिन्दीभाषा.कॉम मंच के रचनाकार साथी अविनाश तिवारी ‘अवि’ जी  का २९ मार्च को  शुभ जन्मदिन है..इस पटल के माध्यम से आप उनको शुभकामनाएं दे सकते हैं…..

सबला

अविनाश तिवारी ‘अवि’ अमोरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************************ युगों-युगों से सहते आये नारी की व्यथा करुणा है, अबला नहीं अब सबला है,ये दुर्गा लक्ष्मी वरुणा है। द्रौपदी आज बीच सभा चीत्कार रही, कितनी सारी निर्भया खून के आँसू बहा रही। चीरहरण अब रोज होता कृष्ण नहीं अब आते हैं, छोटे-छोटे मासूम भी हवस की भेंट चढ़ जाते हैं। … Read more