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श्रद्धांजलि…सूरत के लाल

अविनाश तिवारी ‘अवि’
अमोरा(छत्तीसगढ़)

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जला सूरत,तस्वीर थी बदसूरत,
प्रशासन था मौन,कैसी ये फितरतl

झुलस गए मासूम,माँ उसको निहार रही,
हड्डी के ढांचों में ममता निढाल विलाप रही।

आग बुझी इमारत की,दिल की आग कौन बुझायेगा,
क्या सिर्फ मुआवजों से मरहम लग पायेगा ?

सुविधाविहीन इमारत पर कोचिंग का गोरखधंधा है,
लील गया मासूमों को,मानवता भी शर्मिंदा है।

नमन तुमको माँ के लाल,तुम भारत का भविष्य थे,
श्रद्धासुमन अर्पित करते तुमको,व्यवस्था मूक और बधिर थेll

परिचय-अविनाश तिवारी का उपनाम-अवि है। वर्तमान में छग राज्य के जिला सूरजपुर स्थित ग्राम प्रतापपुर में बसे हुए हैं,पर स्थाई पता अमोरा (महंत)है। इनका जन्म २९ मार्च १९७४ में जांजगीर में हुआ है। हिंदी, भोजपुरी,अवधी और छत्तीसगढ़ी भाषा के अनुभवी श्री तिवारी ने स्नातकोत्तर (वाणिज्य) तक शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र-नौकरी (शिक्षक-सरहरी)है।  सामाजिक गतिविधि में शिक्षा के प्रसार के लिए गैर सरकारी संगठन के जरिए कार्यक्रम करते हैं। आपकी लेखन विधा-दोहा, ग़ज़ल,सजल,मुक्तक और हाइकु है। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित होती हैं। अविनाश तिवारी ‘अवि’ की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा का प्रसार और छत्तीसगढ़ी का सम्मान है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-दिनकर जी हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-हरिओम पंवार हैं। आपकी ओर से सबके लिए सन्देश-“भाषा अपनी सुदृढ़ हो,भाषा से अभिमान,कर्म करें स्वदेश हित में,साहित्य का रख मान” है। आपकी विशेषज्ञता- समसामयिक कविता लिखने में है।

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