प्रेम की धारा
भानु शर्मा ‘रंज’ धौलपुर(राजस्थान) ***************************************************************** समंदर-सा हृदय समझकर जो तेरा, प्रेम की धारा बहा दी बडे़ चाव से छीन रहा है महक देखिये तो मधुप, खिलते हुए कोई प्रीत के गुलाब से। विश्वास का एक घर बनाया हमने, प्रेम की प्रतिमा को स्थापित करूँ शाप से जो अधूरा रह गया प्रेम, बहा के गंगा उसे … Read more