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ग़म का विष कोई पीना नहीं चाहता

भानु शर्मा ‘रंज’
धौलपुर(राजस्थान)

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प्रीत की सुधा सबको चाहिए मगर,
ग़म का विष कोई पीना नहीं चाहता।
इश्क में डूबने की बात करते बहुत,
कोई तूफां से लड़ना नहीं चाहता॥

शूल भरी राह को भी जब चुनना पडे़,
तो हँसकर कदम मित्र बढ़ाते चलो।
मंजिल दूर सही किंतु मिल जायेगी,
लक्ष्य पे निरंतर निगाहें गढा़ते चलो।
वक्त से सीख लो वक्त की चाल को,
जो गिर के संभलता हर हालात में।
मायूसी का अंधेरा जब डराने लगे,
इससे पहले घिरे मन सवालात में।
बदलता नहीं वक्त को दोष देते किंतु,
खुद को कोई बदलना नहीं चाहता॥

चाँद के दाग देख करे घृणा सभी,
निज चित्र चरित्र को निहारें नहीं।
कैसे कह दूँ कि तू आदमी बन गया,
आदमी की शक्ल को संवारे नहीं।
माझी जिंदगी की नाव पार हो कैसे,
जरा-सी लहर से हौंसला हिल गया।
चुभन का अहसास बस गुलाब को,
जो महक लिए शूलों से छिल गया।
पत्थर को भी पिघलते देखा हमने,
मोम बन कोई पिघलना नहीं चाहता॥

आदमी की खोज में भटका रात-दिन,
आदमी में आदमी नजर आया नहीं।
कहते सभी बाप की बेटे में छवि,
चित्र में चरित्र का असर आया नहीं।
तौलता वो रिश्ते दौलत की तुला से,
वजन भावनाओं का ये ज्यादा हुआ।
कसमें भी दी रस्में सारी हुई थी ‘रंज’,
प्रीत के रिश्ते में अटूट वायदा हुआ।
दौलत की चाह में रिश्ते भूलें सभी,
रिश्तों को दौलत बनाना नहीं चाहता।
सबको उठने की चाहत जिंदगी में,
कोई भी गिर,संभलना नहीं चाहता॥

परिचय-भानु शर्मा का साहित्यिक उपनाम-रंज है। जन्म तारीख २ अक्टूबर १९९५ और जन्म स्थान-बदरिका है। वर्तमान में बदरिका,धौलपुर (राजस्थान) में ही स्थाई बसेरा है। हिंदी भाषा जानने वाले रंज की शिक्षा-जी.एन.एम. और बी.ए. (हिंदी साहित्य) है। कार्यक्षेत्र-नर्सिंग होम में नौकरी है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम में भागीदारी करते हैं। सभी विधा में लेखन करते हैं। ‘काव्यांजलि'(सांझा संग्रह)सहित अन्य पत्र-पत्रिकाओं में भी करीब सौ रचना प्रकाशित हैं। इनको प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में-छंद रत्न,युवा साहित्य सम्मान और काव्य भूषण सम्मान प्रमुख हैं। ब्लॉग पर लेखन करने वाले भानु शर्मा की विशेष उपलब्धि-काव्य सम्मान और मंच पर कविता प्रस्तुति है। लेखनी का उद्देश्य-समाज को आईना दिखाना एवं कुरीतियों को खत्म करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद एवं प्रेरणा पुंज-रामधारी सिंह दिनकर है। विशेषज्ञता-कविता पाठन है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-हिंदी हमारी माँ है उर्दू हमारी मौसी,दोनों की रक्षा हमारी जिम्मेदारी है।

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