कारगिल
डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. हीरे हजारों बिखरे टूटी असंख्य माला, गीले हुए तन कितने देखा सभी ने जाना अखबारों की भूख बदी थी हर दिन नया चेहरा था, मकसद वही पुराना,हीरे हजारों…। रोती है आज मिट्टी रोता हुआ अब गगन है, टूटी जब खिली कली तो रोया बहुत … Read more