कारगिल

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. हीरे हजारों बिखरे टूटी असंख्य माला, गीले हुए तन कितने देखा सभी ने जाना अखबारों की भूख बदी थी हर दिन नया चेहरा था, मकसद वही पुराना,हीरे हजारों…। रोती है आज मिट्टी रोता हुआ अब गगन है, टूटी जब खिली कली तो रोया बहुत … Read more

पंच प्यारे

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* आज विदाई पार्टी है,सभी के चेहरे उदास भाव की तख्ती बनकर लटक रहे हैं। बारहवीं कक्षा स्कूली शिक्षा का अंतिम पड़ाव होता है,जिसे पार करके जीवन के प्रत्यक्ष अनुभवों का सामना और पिछली यादों को संजोए रखना होता है। छात्रों के साथ-साथ आज अध्यापकों का मन कमल भी मुरझाया-सा … Read more

माँ तुम..

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* माँ तुम सूखी रोटी ही सही,पर मीठी तो हो माँ तुम नए संचार न सही,पर चिट्ठी तो हो, चिट्ठी जिसमें लिखी जाती थी सबको याद बड़ों को कुशल मंगल छोटों को आशीर्वाद, मिल जाता था रूह को पानी तन को खाद खुद की गुलामी न थी घूमते थे बस … Read more

आरती

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* आरती श्रद्धा-विश्वास स्रोत है, भक्ति-शक्ति से ओतप्रोत है। जो आरती हृदय समाता है, पत्थर भी पूज्य हो जाता है। आरती शक्ति का मन्त्र है, किन्तु भक्तों में अंतर है। भगवान को प्रिय होती है, ह्रदय मंदिर की ज्योति है। आरती है एक-नाम विश्वास, आरती ऋद्धि-सिद्धि प्रयास। आरती हृदय का … Read more

पत्थर की चाह

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* बैठा था मैं नदी किनारे, पीठ लगा पत्थर के सहारे एक विचार मेरे मन आया, प्रभु तेरे विधान हैं न्यारे। नदी किनारे प्यासा पत्थर, कैसे पड़ा हताशा पत्थर कहा अनुभूति की भाषा में, तू क्या लगाये आशा पत्थर। क्या है तेरी चाह बता दे, निज हृदय की थाह बता … Read more

न आँचल मैला होगा,रखेंगे स्वच्छ

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… चिंटू ने भी मनाया मिंटू ने भी मनाया, सबने पटाखे छोड़े खूब धुआं उड़ाया। मोमबत्ती भी जलाई और फिर बुझाई, और सबने खुशी से खाई खूब मिठाई। कब किसको बूढ़ी माँ का ध्यान आया, कब किसी ने उसका जन्मदिन मनाया। युगों से पालन में … Read more

कड़वी चाय

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* “ये फौजी साहब भी महान हैं,इन्हीं के भरोसे हम सब चैन की नींद सोते हैं।” लोकल ट्रेन की सीट पर ताश बांटते हुए रमेश ने कृतज्ञता प्रकट की। “अरे बांट ना यार ताश!” बीच में टोकते हुए खेल के प्रतिभागी नवीन ने कहा। बेचारा फौजी सामान के साथ चुपचाप … Read more