विघ्नहर्ता गणेश जी

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’ महासमुंद(छत्तीसगढ़) *********************************************************************** गणेश चतुर्थी विशेष……….. यह जग कहता आपको,विघ्नहर्ता गणेश जी,आपके नाम से काम शुरू,करते मनु-देवेश भी।हे गणेशजी विघ्नहर्ता जल्दी विघ्न दूर कर दो,बहुत बड़ी विपत्ति देश में उसको चकनाचूर दो।सूझ-बूझ,बुद्धि-शक्ति,तर्क हजारों पास तुम्हारे,हे विघ्नहर्ता कृपा करो,टूटे ना विश्वास हमारे।हम अज्ञानी मूर्ख प्राणी,पल में विचलित हो जाते हैं,हे विघ्नहर्ता विघ्न हरो,आपके पग … Read more

इस युग में `कृष्णा`

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. हे कृष्णा तू क्यों नहीं आता इस युग में लाज बचाने, धार्मिक स्थल में लुट जाती नारी,क्यों शांत हो बंशी वाले। चीर हरण से भी बड़ी दुर्दशा कितनों के साथ हो चुकी, लगता है कलयुग में कृष्णा,गहरी नींद में सो चुकेl बालपन में बहुरूपियों … Read more

माँ तो माँ होती है

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… जीवन देती है,ओ जन्म देती है, सूखे में सुलाती माँ,गीले में सोती है। माँ तो माँ होती है,माँ तो माँ होती है, माँ तो माँ होती है,माँ तो होती है। मानव हो या पशु पक्षियां,माँ ही सबको देती खुशियाँ, माँ के चरणों में सारी … Read more

अपने

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** निज भाषा,निज धर्म को समझो, गुरु भी यही सिखाते हैं। गैरों के आचरण भी कभी-कभी, खुद को नीचा दिखाते हैंll जो अपने को छोड़,गैरों के हो जाते हैं, ना ओ गैरों के होते है ना अपने रह पाते हैं। कटता है जीवन कष्ट और तिरस्कार में, न इधर … Read more

सागर

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** विशालता का द्योतक है सागर,बाकी अब मैं क्या कहूं, सहनशीलता का प्रेरक है सागर,इससे ज्यादा क्या कहूं। ओ तड़पते नदियों को देता है जगह सीने के अंदर, कमजोरों का पोषक है सागर,इससे ज्यादा क्या कहूंll जीवन निर्माण का संरक्षक है सागर,और मैं क्या कहूं, तूफान-उफ़ान का भक्षक है … Read more

होली में

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  ************************************************** कोई भी बुरा काम ना हो,बस प्यार ही प्यार हो होली में, नजर नजरिया बदलकर रखना अपनत्व हो बोली में। शुभ आगमन हो द्वार पर,विश्वास की भरी रंगोली में, खुशियों का खजाना लेते आना,इस बार यार होली मेंl रंग-गुलाल तेरे हाथों से लगे तो भर जाये खुशी झोली … Read more

असली सौन्दर्य

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  ************************************************** जब यह तन अचल होता है, तभी मन का भ्रम मिटता है। वह चमक-दमक वह चिकनी चमड़ी, सिकुड़ फूलकर बेढंग दिखता हैll सारे लेप इत्र की खुशबू, पल-पल तन से दूर हटता है। तब चूमने वाला होंठ भी, उल्टी पर उल्टी करता हैll सत्य समझ आता है उसी … Read more