मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’
महासमुंद(छत्तीसगढ़)
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कोई भी बुरा काम ना हो,बस प्यार ही प्यार हो होली में,
नजर नजरिया बदलकर रखना अपनत्व हो बोली में।
शुभ आगमन हो द्वार पर,विश्वास की भरी रंगोली में,
खुशियों का खजाना लेते आना,इस बार यार होली मेंl
रंग-गुलाल तेरे हाथों से लगे तो भर जाये खुशी झोली में,
अदभुत नादानियां हैं सचमुच,आपकी हँसी-ठिठोली मेंl
हँसी-खुशी हो गीत-संगीत हो हमारी अपनी टोली में,
कोई भी बुरा काम ना हो,बस प्यार ही प्यार हो होली मेंll