गंगा की दुर्दशा

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* हे हिमतरंगिणी भगवती गंगे निर्मल नवल तरंगें, मैंने देखा था तुम्हें निकलते हुए हिमालय की गोद से अति चंचल, मधुर शीतल, धँवल चाँदनी-सी सुंदर। भगीरथ के दुर्गम पथ पर लहराती चली जा रही थी, पर क्या पता था कि मंजिल तक पहुँचते-पहुँचते, तू इतनी शिथिल और मलिन हो जाएगी। हे … Read more

एकता नहीं रही..

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* अब हमारे गाँव में एकता नहीं रही, इन्सानों के दिल में नेकता नहीं रहीl होलिका दहन करते थे सब साथ मिलकर, अब खर-कतवार जुटाने की चिंता नहीं रहीl जाते थे हम घर-घर जो गुलाल लेकर, अब पड़ोसियों से भी मित्रता नहीं रहीl पी के शराब बकते हैं घर में जो … Read more

हमारा भारत

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* शीश मुकुट हिमालय जिनकी छाती पर पावन गंगा है, महिमा उस देश की गाता हूँ,जिस देश की शान तिरंगा है। जहाँ ताजमहल और लाल किले-सी अदभुत भव्य इमारत है, सागर जिनके पाँव पखारे,वही हमारा भारत हैll जहाँ सरिता,झरना,झीलें और सुंदर बाग-बगीचे हैं, रामेश्वर-काशी-काबा सब एक गगन के नीचे हैं। जहाँ … Read more