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गंगा की दुर्दशा

दीपक शर्मा

जौनपुर(उत्तर प्रदेश)

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हे हिमतरंगिणी भगवती गंगे
निर्मल नवल तरंगें,
मैंने देखा था तुम्हें
निकलते हुए हिमालय की गोद से
अति चंचल,
मधुर
शीतल,
धँवल चाँदनी-सी सुंदर।
भगीरथ के दुर्गम पथ पर
लहराती चली जा रही थी,
पर क्या पता था कि
मंजिल तक पहुँचते-पहुँचते,
तू इतनी शिथिल और मलिन हो जाएगी।

हे करुणामयी जीवनदायिनी
बहुत कष्ट उठाया है तूने,
अपने भीष्म पितामह के लिए
जीव,वनस्पति,देव,दनुज
मानव के लिए,
निःश्रेयवस
सबको एकसाथ
तृप्त करती हुई,
पीयूष स्रोत बरसाती चली जा रही थी
पर क्या पता था कि
मंजिल तक पहुँचते-पहुँचते,
तू इतनी शिथिल और मलिन हो जाएगी।

हे सुरसरिता जाह्नवी,
तू अपने
अदम्य साहस
अनवरत प्रयास
एवं अटूट संकल्प के साथ,
गिरि,शैल,गह्वर को लाँघती हुई
सिंह-सी दहाड़ती हुई,
कंकड़-पत्थर,बालू,मिट्टी
और चट्टानों को उखाड़ती हुई,
प्रखर वेग से
हरहराती चली जा रही थी,
पर क्या पता था कि
मंजिल तक पहुँचते-पहुँचते,
तू इतनी शिथिल और मलिन हो जाएगी।

हे ममतामयी स्रोतवाहिनी
तू इतनी सहनशील और उदार है,
रवि के ताप से तपित
हृदय को सहलाती हुई,
बाट-बाट पर,घाट-घाट पर
सबको ममत्व प्रेम से नहलाती हुई,
कल-कल छल-छल
की मधुर नाद गुनगुनाती हुई,
अथाह सागर की ओर
दनदनाती चली जा रही थी,
पर क्या पता था कि
मंजिल तक पहुँचते-पहुँचते,
तू इतनी शिथिल और मलिन हो जाएगी।

हे क्षमादायिनी जटावाहिनी
तूझे बहुत दुःख हुआ होगा,
जब तुम्हारे दर्पण से तन पर
बहायी जा रही थी
कल-कारखाने का कीचड़ और गंदगी,
सड़ी लाशें
शहरों का मल,
और दूषित नालियाँ
इसके विरोध में
कहीं हो रही थी हड़तालें,
तो कहीं चल रही रैलियाँ
और तू
स्निग्ध भाव से,
राजनीति की मार झेलते हुए
मुस्कुराती चली जा रही थी,
पर क्या पता था कि
मंजिल तक पहुँचते-पहुँचते,
तू इतनी शिथिल और मलिन हो जाएगी॥

परिचय-दीपक शर्मा का स्थाई निवास जौनपुर के ग्राम-रामपुर(पो.-जयगोपालगंज केराकत) उत्तर प्रदेश में है। आप वर्तमान में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रावास में निवासरत हैं। आपकी जन्मतिथि २७ अप्रैल १९९१ है। बी.ए.(ऑनर्स-हिंदी साहित्य) और बी.टी.सी.( प्रतापगढ़-उ.प्र.) तक शिक्षित श्री शर्मा एम.ए. में अध्ययनरत(हिंदी)हैं। आपकी लेखन विधा कविता सहित लघुकथा,आलेख तथा समीक्षा भी है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताएँ व लघुकथा प्रकाशित हैं। विश्वविद्यालय की हिंदी पत्रिका से बतौर सम्पादक भी जुड़े हैं।दीपक शर्मा की लेखनी का उद्देश्य- देश और समाज को नई दिशा देना तथा हिंदी क़ो प्रचारित करते हुए युवा रचनाकारों को साहित्य से जोड़ना है। विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको लेखन के लिए सम्मानित किया जा चुका है। 

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