गंगा की दुर्दशा
दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* हे हिमतरंगिणी भगवती गंगे निर्मल नवल तरंगें, मैंने देखा था तुम्हें निकलते हुए हिमालय की गोद से अति चंचल, मधुर शीतल, धँवल चाँदनी-सी सुंदर। भगीरथ…
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May 6, 2019