अब तो लौट आओ साजन
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* अब तो लौट आओ साजन,मैं कब से तेरी बाट जोहतीदोनों ने मिलकर ही रिश्ता,सजाया था प्यार का।जन्म-जन्म का बंधन,पवित्रता का मेल हैतेरे-मेरे बीच प्रेम,नेह ये अनमोल है।जब देखूं बगिया की हर डाली,मुरझाई-सी दिखे,नहीं मालीमैं भी मुरझाई-सी,तेरी राह शाम-सुबह ताकती।तेरे बिना हाल न कोई जाने,दिल की बात मेरी तू ही जानेहर पल … Read more