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अब तो लौट आओ साजन

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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अब तो लौट आओ साजन,
मैं कब से तेरी बाट जोहती
दोनों ने मिलकर ही रिश्ता,
सजाया था प्यार का।
जन्म-जन्म का बंधन,
पवित्रता का मेल है
तेरे-मेरे बीच प्रेम,
नेह ये अनमोल है।
जब देखूं बगिया की हर डाली,
मुरझाई-सी दिखे,नहीं माली
मैं भी मुरझाई-सी,
तेरी राह शाम-सुबह ताकती।
तेरे बिना हाल न कोई जाने,
दिल की बात मेरी तू ही जाने
हर पल सजन अब लगे भारी,
लगता है,हो गई भूल भारी।
रात चाँदनी बहुत सताए,
याद तुम्हारी जब आए
आ जाओ साजन।
अब तो आ जाओ,
अब तो लौट आओ साजन…॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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