मेरा विद्यार्थी जीवन और रचना धर्मिता

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** मेरा विद्यार्थी जीवन स्पर्धा विशेष …….. पिताजी यद्यपि अपने समय के कक्षा ४ उत्तीर्ण थे,फिर भी उनकी गणित बहुत अच्छा था।विद्यालय घर से दूर होने के कारण मेरी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। कक्षा ३ से प्राथमिक विद्यालय हऊली (चौनलिया) में प्रवेश लिया। गुरुजी श्री भैरवदत्त एवं श्री दयाकृष्ण जोशी … Read more

नया सवेरा आएगा

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचना शिल्प:मात्राभार-३०,यति-१६-१४,पदांत-२२२ कोरोना की बीमारी का,शीघ्र अंत हो जाएगा।दु:ख की काली घटा छँटेगी,नया सवेरा आएगा॥ भुगता है बीते वर्षों से,इसने डेरा डाला है।अब भी इसके रूप निराले,समग्र जग को घेरा है॥प्रभावशाली टीके से अब,यह कोरोना हारेगा।दु:ख की काली घटा छँटेगी,नया सवेरा आएगा॥ कोरोना की बीमारी का,शीघ्र अंत हो जाएगा।दु:ख की काली … Read more

श्रमजीवी हैं मूक-बधिर

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************** मूक-बधिर जन श्रमजीवी हैं,हो शुभकामना।कर्म क्षेत्र में हों मेहनती,सह कर थामना॥ बुद्धि तेज अति भाव विचारक,उनको साथ दें।क्षमता करना उनसे मुश्किल,बस सह हाथ दें॥चलें साथ में लेकर जग में,करें नहीं मना।कर्म क्षेत्र में हों मेहनती,सह कर थामना॥ मूक-बधिर जन श्रमजीवी हैं,हो शुभकामना।कर्म क्षेत्र में हों मेहनती,सह कर थामना॥ परिचय-डॉ.धाराबल्लभ पांडेय का … Read more

सद्गुरु ही परमब्रह्म

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचना शिल्प:गगनांगना छंद पर आधारित श्री सद्गुरु ही परमब्रह्म है,गुरु भगवान है।गुरु की कृपादृष्टि से मिलता,जग सम्मान है॥ बिन गुरु के सद्ज्ञान न मिलता,जग पहचान है।श्रीगुरु से अज्ञान मिटे है,बढ़ता मान है॥सत् की राह दिखाता है गुरु,मिलता ज्ञान है।गुरु की कृपादृष्टि से मिलता,जग सम्मान है…॥ श्री सद्गुरु ही परमब्रह्म है,गुरु भगवान … Read more

पुस्तक

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष…… पुस्तक होती मित्र है,महिमा बड़ी महान।बढ़े मान यश कीर्ति सब,होता सबका ज्ञान॥होता सबका ज्ञान,सभ्यता है सिखलाती।देती शुभ संस्कार,सत्य पथ है दिखलाती॥पढ़ पुस्तक विद्वान,बने ऊँचा हो मस्तक।सदा ज्ञान का मान,जगत में देती पुस्तक॥ परम दिव्यमय ज्ञान है,पुस्तक अपरंपार।वेद शास्त्र उपनिषद का,सिखलाती है सार॥सिखलाती है सार,सभ्यता को समझाए।सत्य … Read more

होली के रंग में

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… होली के रंग में रंग जाएं आज।चलो खेलें मिल-जुल के हम होली आज॥ कलुष कुटिलता मन से हटायें,राग-द्वेष सारे मन से मिटायें।प्रेम के रंग में रंग करके साथी,आओ सब एक साथ होली गाएं आज…॥ शत्रु-मित्र परापर का भाव न लाएं,सबको मिल प्रेम से गले लगाएं।प्रेम-प्रवाह … Read more

प्रार्थना

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचना शिल्प:मापनी २१२२ २१२२ २१२ वंदना माँ भारती की कर सकूँ।वीर भारत को नमन मैं कर सकूँ।यह सदा विजयी हमारा देश हो।प्रार्थना कर कोटि शुभ परिवेश हो॥ विश्व विजयी बन जगत में शान हो।देश मेरे विश्व गुरु का मान हो।हो तिरंगा विश्व का परचम बड़ा।विजय का जयगान करता हो खड़ा॥ परिचय–डॉ.धाराबल्लभ … Read more

हमारे रहोगे दयानाथ हे

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ हमारे रहोगे दयानाथ हे।कृपासिंधु तुम हो जगन्नाथ हे।तुम्हारे सहारे लगी आस है।तुम्हारा जपूँ नाम विश्वास है॥ बनाए तुम्हीं ने दिवस रात हैं।सितारे गगन में चमकते रहें।कुसुम बाग में खिल महकते रहें।फुदककर कबूतर चहकते रहें॥ करूँ वंदना हाथ जोड़े हुए।लिए आस मन में संजोए हुए।धरो लाज मेरी महादेव हे।दुखी-दीन मैं हूँ दयासिंधु … Read more

नववर्ष में कोरोना से मुक्ति

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ आया है नववर्ष यह,लेकर खुशी हजार।कोरोना आतंक से,हो जाएंगे पार॥ बन आई वैक्सीन अब,सफल परीक्षण आज।टीके लगवा कर सुखी,होंगे अब सब काज॥ नए वर्ष की ये खुशी,है गौरव की बात।स्वाभिमान यह देश का,फल श्रम का दिन-रात॥ स्वागत इस नववर्ष का,सुख का दे संदेश।त्रस्त सभी जन-मन रहे,होगा स्वस्थ स्वदेश॥ कोरोना की मार … Read more

जितने दूर हुए,उतने मन के पास हुए

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ जितने दूर हुए तुम तन से,उतने मन के पास हुए।ज्यों-ज्यों दूर हुए तुम मुझसे,त्यों-त्यों धड़कन साँस हुएll जब थे पास-पास दोनों हम,नहीं विरह का भान हुआ।सुख के जीवन में पल बीते,नहीं कभी संताप हुआll मिलन हुआ जो आज विखंडित,खिंचे तार से मन के हैं।क्या था जुड़ा हृदय से ऐसा,तंतु क्षीण सब … Read more