देश के खातिर लुटाए जो जवानी

पवन गौतम ‘बमूलिया’ बाराँ (राजस्थान) ************************************************************************** देश के खातिर लुटाए जो जवानी, वो जवानी है लिखती कहानी। जो बिछा दे खुद को वतन पर…, खून की है अमर वह रवानी। रवानी रवानी रवानी…… खून की है अमर वो रवानी। देश के खातिर लुटाए जो जवानी, वो जवानी है लिखती कहानी॥ जिंदगी चार दिन का झमेला, … Read more

कारगिल के जाँबाज

पवन गौतम ‘बमूलिया’ बाराँ (राजस्थान) ************************************************************************** कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. एक सैनिक जहाँ छोड़ जाने लगा, था खड़ा वो हिमालय थरथराने लगा। लड़खड़ाकर गिरा होश जब खो गया, आसमाँ भी आँसू बहाने लगाll सरहदें कह उठी जय हो तेरी जवाँ, तू अकेला था दुश्मन कई थे वहाँ। तूने खाई ना गोली अरे सामने, घाव … Read more

मेरे नाना

प्रज्ञा गौतम ‘वर्तिका’ कोटा(राजस्थान) ********************************************* बहुत याद आते हैं नाना,जिनके सानिध्य-छाँव में बचपन के अनेक वर्ष बीतेl मन की अतल गहराइयों में दबी,पीले और भंगुर पृष्ठों पर उकेरी हुई रंग उड़ी चित्रकथाओं-सी बचपन की स्मृतियाँl एक धुंधली-सी स्मृतिl पांच वर्ष की छोटी-सी बच्ची मैं,नाना की उंगली थामे बाज़ार से गुजर रही हूँl कोई सज्जन रास्ते … Read more

माँ

पवन कुमार ‘पवन’  सीतापुर(उत्तर प्रदेश) ****************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………   माँ के आँचल से निज सुत पर,निर्झर नेह झरे। अम्बर ज्यों निज ओस-कणों से,शीतल अवनि करे॥ धरती-सा विस्तृत मन जिसका,कोमलकांत हृदय है। करुणा,नेह,दया,ममता का,मिश्रित रूप विलय है॥ प्यार,दुलार अपार लुटाती,सदगुण नित्य भरे। अम्बर ज्यों निज ओस कणों से, शीतल अवनि करे॥ माँ के जैसी … Read more

स्त्री

प्रज्ञा गौतम ‘वर्तिका’ कोटा(राजस्थान) ********************************************* स्त्री… स्त्री-गर्भ से प्रस्फुटित वह अंकुर, जो पुष्पित-पल्लवित हो उठता है बिना सींचे भी, गमक उठता है घर-भर पोसती है वह आँचल की छांव तले पीढ़ियों को, बिना जमाए अपनी जड़ें किसी धरती पर। स्त्री… स्नेह की रेशमी डोर, रेशा-रेशा बिखर कर तिरती रहती है, जाने कितने रिश्तों में जाने … Read more