साँस तू अब संभलना छोड़ दे
गोविन्द राकेश दलसिंहसराय (बिहार) *************************************************************** साँस तू अब संभलना छोड़ दे, दिल मेरा तू भी घड़कना छोड़ दे। बाग़ में अब फूल खिलते ही नहीं, फिर तो ऐ तितली मचलना छोड़ दे। रोशनी दिखती नहीं अब चार सू, घर से अब बाहर निकलना छोड़ दे। क्या पता वो सच ही बोले अब यहाँ, झूठ के … Read more