गुरु से होती गोविंद की पहचान

दिपाली अरुण गुंडमुंबई(महाराष्ट्र)***************************** गुरु पूर्णिमा विशेष….. माता-पिता ही प्रथम गुरु,जिनसे होती शिक्षा शुरू। कभी डाँट-फटकार सुनाते,जैसे मूर्तिकार मूर्तियाँ बनाते। मार्ग दिखाए वह प्रकाश स्तंभ-सा,मानो कठिनाइयों में अडिग चट्टान-सा। गुरु और गोविंद में भी गुरु को मान,क्योंकि,गुरु से होती गोविंद की पहचान। गुरु मिले तो सब जग प्यारा,गुरु बिन तू,सारे जग से हारा॥

सबकी नजर में स्त्री के लिए सम्मान आवश्यक

दिपाली अरुण गुंडमुंबई(महाराष्ट्र)***************************** महिला दिवस स्पर्धा विशेष…… विधाता ने सृष्टि का निर्माण किया,उसके केन्द्र में स्त्री को रखा। जिस तरह कुम्हार अपना मटका बनाते वक्त केन्द्र पर गीली मिट्टी रखकर उसे घुमाकर उससे सुंदर नाजुक घट या मटका बनाता है,उसी तरह विधाता ने सृष्टि का निर्माण करते हुए केन्द्र में स्त्री को रखा। इससे यह … Read more

यह सचमुच हमारे ‘कोरोना योद्धा’

दिपाली अरुण गुंडमुंबई(महाराष्ट्र)***************************** ‘जरा याद करो कुर्बानी,ऐ मेरे वतन के लोगोंजरा आँख में भर लो पानी।जो शहीद हुए हैं उनकी,ज़रा याद करो कुर्बानी।’जी हाँ! बिल्कुल सही पहचाना आपने। यह पंक्तियाँ हमें अपनी शहीद वीर जवानों की याद दिलाती है। उनकी याद आकर हमारी आँखों में नमी जरूर आती है,लेकिन आज उनके साथ हमें और भी … Read more