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यह सचमुच हमारे ‘कोरोना योद्धा’

दिपाली अरुण गुंड
मुंबई(महाराष्ट्र)
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‘जरा याद करो कुर्बानी,
ऐ मेरे वतन के लोगों
जरा आँख में भर लो पानी।
जो शहीद हुए हैं उनकी,
ज़रा याद करो कुर्बानी।’
जी हाँ! बिल्कुल सही पहचाना आपने। यह पंक्तियाँ हमें अपनी शहीद वीर जवानों की याद दिलाती है। उनकी याद आकर हमारी आँखों में नमी जरूर आती है,लेकिन आज उनके साथ हमें और भी किसी के प्रति कृतज्ञता की भावना व्यक्त करनी जरूरी है। यह हर भारतीय नागरिक का परम कर्तव्य है। यह लोग हैं हमारे पुलिस कर्मचारी, चिकित्सक तथा अस्पताल से संबंधित कोई अन्य कर्मचारी ।
हम सब जानते हैं कि पिछले १०-११ महीने से पूरा विश्व ‘कोरोना’ विषाणु की भयानक संक्रामक बीमारी का तांडव देख रहा है। भारत भर में इसने उत्पात मचा के रखा था। पूरी कायनात रुक-सी गई। हवाई अड्डे,बस स्थानक यहाँ तक कि ‘जीवनरेखा’ समझी जाने वाली रेल सेवा भी अचानक बंद हुई। एक के पीछे एक ‘तालाबंदी’ होती रही, गली मोहल्ले में भी अजीब सन्नाटा छा गया। ऐसे माहौल में लोगों की मदद करने हमारी पुलिस तथा चिकित्सक वर्ग हमारे सामने आया।
इस मुश्किल समय में भी चिकित्सक केवल हमें सेवा देने के लिए काम कर रहे थे। संक्रामक बीमारी होने के कारण जान की परवाह न करते हुए वे डटे रहे। इनमें से बहुत से ऐसे थे,जो कई दिन से अपने घर भी नहीं गए थे। कितनों ने तो सेवा का व्रत लेकर घर-संसार को भुला दिया था। लोगों की बीमारियों का खात्मा करते-करते कई की जान भी चली गई। दूसरी ओर ‘सदरक्षणाय खलनिग्रहणाय’ इसी साँस वाक्य से पहचान कराने वाली हमारी पुलिस। हम किसी भी भयानक हादसे का शिकार ना हों,अपने घरों में सुरक्षित रहें,इसलिए वे कार्यरत रहे। चिकित्सक की तरह इनकी भी जिम्मेदारियाँ बढ़ी। भारत की हर एक छोटी-बड़ी सड़क पर तैनात रहकर लोगों को एक जगह इकट्ठा होने से रोका,ताकि बीमारी का फैलाव ना बढ़े। घर में बैठकर हमारी हर जरूरत पूरी करने का काम सरकार के कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा था,पर वहाँ सड़कों पर पुलिस को तो दो वक्त का खाना भी नसीब न था। घर-परिवार भूल कर यह भी अपने कर्तव्य के प्रति सजग थे। शायद उनके घर में भी बूढ़े माँ-बाप होंगे,छोटे बच्चे उनकी राह देखते होंगे। उन्हें दूर से ही मिलकर उलटे पैर कितनी बार वह पुलिस थाने में भी आए होंगे।
अब यह संक्रामक बीमारी का तूफान थम गया है,हालात धीरे-धीरे सुधर रहे हैं। इसका श्रेय उन्हें भी जाता है। इसलिए नए वर्ष में आकर भी हमें उन्हें नहीं भूलना चाहिए यह लोग सचमुच हमारे ‘कोरोना योध्दा’ हैं। इनके इस रूप को शत-शत प्रणाम।

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