हरने आओ प्रभु दु:ख

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* हरने आओ प्रभु दु:ख..... प्रभु जी हे कान्हा हे गिरिधारी हे मेरे कृष्ण मुरारी,कृष्ण जन्म लीला लागे अनुपम धरा पे सुंदर प्यारी। कंस असुरों से…

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प्रभु प्रार्थना से बल मिले

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** प्रभु प्रार्थना से बल मिले,आओ करें हम प्रार्थना।हर प्रार्थना स्वीकार हो,यह हाथ प्रभु तुम थामना। थामे रखें यह हाथ होगा सफल जीवन यह सदा,जीवन सफल हो…

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प्रेम का पथ

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* प्रकृति ने सिखाया प्रेम,समर्पित भाव से बंधनमानव से मानव करे प्रेमहृदय देखो बने चंदन। नेह से बने रिश्तों का,महकता है सदा प्रकाशप्रेम जोत जगे हृदय…

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स्नेहिल वटवृक्ष पिता

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* ‘पिता का प्रेम, पसीना और हम’ स्पर्धा विशेष….. पिता के प्रेम की कहाँ शुरू करूँ मैं बात,पिता हृदय रहे अनुपम स्नेह दिन औ रातहर दिन…

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जीवनदायिनी गंगा

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* पूर्वज उद्धार भगीरथ तप,शिव जटा में उतरी गंगापावन नदिया भूमि भारत,गंगोत्री मुख से सागर गंगा। बाधाओं को चीरती बढ़ती,जीवनदायिनी है देवी गंगामानव जीव जन्तु औ…

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जंगल नाम दूं…?

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** फैल रहे हैं ये शहर,देख-देख कर मैं हैरान हूँ,हर तरफ है भीड़,पर लगता खुद को वीरान हूँबसे जा रहे हैं ये शहर,इनको ही मैं जंगल कहूँ,या…

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मुस्कुराना पड़ा

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* जीवन के कई अंधेरों में,आशदीप जलाना पडा़अपनों की पीड़ा हरने को,दर्द अपना छुपाना पडा़मुझे जी मुस्कराना पडा़। नहीं होता आसां छुपाना,सुख के पुष्प देते आनंदकाँटे…

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बहुत गड़बड़ झाला है

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** चाइना ने बनाया है इस 'कोरोना' को,छोड़ दिया सारी दुनिया को रोने कोशैतान हँसता,मुँह पर पड़ा ताला है,भोला 'देवेश' पूछता-क्या गड़बड़ झाला है…। हम इठलाए जीत…

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सब दिन नहीं एक समान

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** जीवन की ये रीत तू जान ले इन्सान,दिन सारे होते नहीं यहाँ एक समान। आहट नए की कभी होती ही नहीं,गुजर गए हैं जो कब छोड़े…

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दर्पण झूठ नहीं कहता

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** धूल जमीं तेरे चेहरे पे तो,दर्पण पोंछने से क्या होगा,अक्स दिखाता है तेरी सूरत,तेरे सोचने से क्या होगाचेहरे की धूल को जरा,साफ करके देख ये आईना,दर्पण…

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