फिरकापरस्ती देखो हिन्द में

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* फिरकापरस्ती का सजा बाजार देखो हिन्द में।अब खून से छपने लगे अखबार देखो हिन्द में। कानून का लेकर बहाना कौम का रुख मोड़ने,कुछ खाप के नेता हुए तैयार देखो हिन्द में। जो चंद सिक्कों के लिए गिरवी रखें ईमान को,वो मंच से करने लगे ललकार देखो हिन्द में। वो राजनीतिक लाभ … Read more

समंदर का दर्द

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* समंदर दर्द अपना हर किसी से कह नहीं सकता।करोड़ों मील में फैला मगर वो बह नहीं सकता। तमन्ना यह लिए वो जा बसा मज़लूम आँखों में,सिमटकर बूँद होने की सजा भी सह नहीं सकता। बड़ा आकार में लेकिन नहीं अहसास यह उसको,फँसे जलयान को तूफान में वो गह नहीं सकता।ज़रूरत हो … Read more

नई मंजिलें

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* नयी मंजिलें हैं नये काफिले हैं।सभी दूर राहों में उलझे मिले हैं॥ यही है वो बस्ती जहां से चले थे,वहीं एक घर में सभी हम पले थे।पुराना जमाना कहाँ खो गया है,बनाते दिखें सब हवा में किले हैं॥नयी मंजिलें हैं,नये काफिले हैं… वो सस्ती दुकानें कहाँ गुम हुई हैं,वो मस्ती मचानें … Read more

हमको ही वो लूट रहे

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* हमको आदरणीय बताकर हमको ही वो लूट रहे हैं,नेता,दल्ले,व्यापारी सब छाती पर तिल कूट रहे हैं। तिलक लगाने को मांथे पर हमसे मांग रहे हैं रोली,आंदोलन में कूद पड़ी है देश कनाडा वाली टोली।मेघ विदेशी आ भारत के लाल किले पर फूट रहे हैं,हमको आदरणीय बताकर हमको ही वो लूट रहे … Read more

सँभल जाओ अभागो

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* केतु के सम्मान का तो ध्यान रखो।देश की खातिर सँभल जाओ अभागोंll आचरण इतना अपावन मत दिखाओ,आवरण माँ भारती का मत हटाओ।हो सके तो आदमी बनकर दिखा दो,चैनलों पर बैठ यूँ गोले न दागोllदेश की खातिर सँभल जाओ अभागों… खाक बनकर रह न जाये घर तुम्हारा,देखकर हरक़त बढ़ा चिंतन हमारा।कर रहे … Read more

उस पार जाना चाहता हूँ

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* काव्य रूपी नाव ले उस पार जाना चाहता हूँ।शब्द की पतवार से सागर हराना चाहता हूँll गद्य रूपी पंक्तियों को तोड़कर कविता बनायी,रेत में डूबी नदी को खोद कर सरिता बहायी।जोड़ अक्षर के सहारे,तोड़ लाया चाँद-तारे,जिंदगी के इस किले को यूँ सजाना चाहता हूँllशब्द की पतवार से सागर हराना चाहता हूँ… … Read more

कैसे बीता साल

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* कैसे बीता साल पुराना मत पूछो,बैठे-बैठे खाल खुजाना मत पूछो। माह जनवरी बीता उसके स्वागत में,और फरवरी का घट रीता दावत मेंदेख कोरोना मार्च महीना घबराया,कर्फ्यू से वीरान हुई भारत कायाअप्रैल में फिर थाल बजाना मत पूछोlकैसे बीता साल पुराना मत पूछो… मई महीने में भी दहसत छाई थी,कितने मजदूरों ने … Read more