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हमको ही वो लूट रहे

जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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हमको आदरणीय बताकर हमको ही वो लूट रहे हैं,
नेता,दल्ले,व्यापारी सब छाती पर तिल कूट रहे हैं।

तिलक लगाने को मांथे पर हमसे मांग रहे हैं रोली,
आंदोलन में कूद पड़ी है देश कनाडा वाली टोली।
मेघ विदेशी आ भारत के लाल किले पर फूट रहे हैं,
हमको आदरणीय बताकर हमको ही वो लूट रहे हैं…॥

अजब तमाशा इस धरने का मोदी और योगी को गाली,
अलगावी तेवर हैं इनके भाषा नहीं किसानों वाली।
सरकारी अमले के इनको देख पसीने छूट रहे हैं,
हमको आदरणीय बताकर हमको ही वो लूट रहे हैं…॥

मुद्दे की अब बात नहीं है बिगड़ी है धरने की शैली,
सारे दल इसमें घुस बैठे लेकर अपनी चादर मैली।
कानूनों से वही दुखी हैं जिनके धंधे टूट रहे हैं,
हमको आदरणीय बताकर हमको ही वो लूट रहे हैं…॥

सारी बात मान ली अब क्यों सूरज को जुगनू कहते हो,
न्यायालय का मान रखो क्यों उल्टी धारा में बहते हो।
असली ‘हलधर’ के सपनों में गेहूँ सरसों जूट रहे हैं,
हमको आदरणीय बताकर हमको ही वो लूट रहे हैं…॥