मंज़र नहीं देखा गया
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* आ गया वो रूह में मंज़र नहीं देखा गया।पूजते पत्थर रहे अंदर नहीं देखा गया। आत्म मंथन के सफ़र में देह से ऊपर उठा,पार गरदन के…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* आ गया वो रूह में मंज़र नहीं देखा गया।पूजते पत्थर रहे अंदर नहीं देखा गया। आत्म मंथन के सफ़र में देह से ऊपर उठा,पार गरदन के…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* आदमी का आजकल किरदार बौना हो गया है।जिंदगी का फलसफा अब तो 'करोना' हो गया है। ढो रहा है आदमी कांधे सगों की लाश यारों,मरघटों तक…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* कूप अब पाताल में ईमान के गरके हुए हैं।गीत बोलो क्या सुनाऊँ,लोग पत्थर के हुए हैं। निर्भया को न्याय मिलने में लगे थे साल कितने,राम तंबू…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* दुनिया की सारी इमारतें सब श्रम कौशल की माया है,बजरी-पत्थर ढोते-ढोते टूटी श्रमिक की काया है।हाथों में छाले हैं जिसके कांधे,पैरों पर हैं निशान,महलों को जिसने…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* कोरोना से लड़ना होगा,घर के भीतर पड़ना होगा,चौराहे पर ये मत देखो,कितनी हलचल और बची है ? हम सब एक डगर के राही,साथ-साथ सबको चलना है,भारत…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* कोरोना से मत घबराओ,कोविड का टीका लगवाओ।जीवन सफल बनाएगा ये,मौत से हमें बचाएगा ये॥ रक्त शिराओं में बह कर ये,वादा अपना पूर्ण करेगा,इसको धारण करने वाला,कोरोना…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* भूख से यदि जीतना उपवास रखना सीखिए।रोग मुक्ति के लिए विन्यास रखना सीखिए। राज में जिसका हवाला हाशिये पर भी नहीं,उस गरीबी का जरा परिभाष रखना…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… कोरोना के भय में भटकी रीत सुहानी होली की।दिल्ली के धरनों ने सटकी प्रीत पुरानी होली की॥ केसर घाटी सुलग…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* सभ्यता के मापदंडों को चलो नीचे उतारें।नग्नता को अब नए श्रंगार शब्दों से पुकारें। जो फटे कपड़े पहनते मानते खुद को अगाड़ी,दिव्यतम है देह इनकी पूर्ण…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष…. भारती के भाल का श्रृंगार है हिंदी।देश में सदभाव का आधार हिंदी॥ वेद से पैदा हुई है देव गण के वास…