अब कर्म करो

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* भोग ली है जिन्दगी अब कर्म करो, राजनीतिक प्रहरियों अब शर्म करो। दशकों वर्ष बीत चुके कुछ बाकी है, मन्दर-मस्जिद भूल मानवधर्म करो। सहत्र वर्ष की हो चुकी भाषणबाजी, रक्त न बहाओ क्रोध कुछ नर्म करो। युद्ध की गर्जना व ललकार समझो, व्यवस्था सुधारने हेतु रक्त गर्म … Read more

बहुत याद आ रही है माँ

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** बहुत याद आ रही है माँ। जीना सिखला रही है माँl स्वयं पीकर कड़वाहट वो, मीठा दूध पिला रही है माँl भटक ना जाएँ हम कहीं, आँचल में छिपा रही है माँl अत्यंत थक चुका हूँ तभी, अपने पास बुला रही है माँl राष्ट्रहित व देशप्रेम कर … Read more

विपरीत चल रही कश्तियां

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** अपनों की विकराल स्मृतियां। कष्ट निवारक नहीं आकृतियांl तुम्हें क्या कहें और कैसे कहें, बांटी थी सब लिखित प्रतियां। दण्ड भोग रहा देशभक्ति का, मूक दर्शक बनीं सब शक्तियां। न्याय हेतु प्रयासरत हूँ किंतु, अनुकूल नहीं हैं परिस्थियां। उस पार कहां,कैसे उतरूं मैं, विपरीत चल रही हैं … Read more

समय कहाँं है

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** भूख मिटाऊँ समय कहाँं है। मंदिर जाऊँ समय कहाँं है॥ गीता पढ़ ली पाप हो गया, और कमाऊँ समय कहाँं है। सरपट भाग रहा है सत्य, उसे छुपाऊँ समय कहाँं है। असंख्य कहाँं हैं साँसें मेरी, व्यर्थ गवाऊँ समय कहाँ है। देशहित में जीवन समर्पित, रक्त बचाऊँ … Read more

चुप्पी कहती है कुछ

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** चुप्पी मेरी कहती है कुछ। नदिया-सी बहती है कुछ। देशहित की बाजी मित्रों, आत्मबल चाहती है कुछ। रक्त खौला माँ भारती जो, प्रसव पीड़ा सहती है कुछ। अनेक शोध कर देखा मैंने, जीने में मृत्यु रहती है कुछ। नीर कहां यह रक्त है भाई, हृदय गंगा बहती … Read more

देश पर मिटना सौभाग्य

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** प्राकृतिक आमन्त्रण है संघर्ष, स्वीकार करने पर होता है हर्ष। बचपन जवानी की खबर नहीं, जीवन बीत जाता वर्ष प्रतिवर्ष। प्रत्येक पल स्मरण हो प्रभु का, अंतर कहां रहते धरा क्या अर्श। नशा तो मात्र राष्ट्रभक्ति का है, बाकी सब फीके गांजा व चर्स। देश पर मिटना … Read more

इंसानियत है ही कहां ?

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** इंसानियत है ही कहां,जो शर्मसार हो, सचाई लुप्त होगी बिका कलमकार हो। आशा क्या करोगे लोकतंत्र से तुम सारे, जब चारों स्तम्भों में व्याप्त भ्रष्टाचार हो। घुटने सत्य ही टेक देगा एक दिन जहां, सत्य मेव ज्यते जैसी बेबस सरकार हो। यथार्थ मेरा झूठी गढ़ी कहानी बन … Read more

मच्छर

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** मच्छर को, कभी कम मत आंको। चूंकि, मच्छर घात लगाकर कभी वार नहीं करता। बल्कि, ललकारते हुए करता है आत्मघाती हमला, और चूस लेता है, मानव का रक्त अपनी जान की बाजी लगाकरl अब बताओ, करके गहन मंथन कि, क्या मच्छर उन तथाकथित अपनों से कहीं अधिक … Read more

दीपक

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** दीपक गहरी सोच में डूबा हुआ था। उसकी आँखों में कई दृश्य नृत्य कर रहे थे। वह अपने चिंतन में महान व्यक्तित्वों के सफर का मूल्यांकन कर रहा था और उनके पथ पर बिखरे काँटों व कीलों की संख्या की गणना करने का अथक प्रयास कर रहा … Read more

देशभक्ति

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** आसमान को छूना दूर की बात है। उलझाओ मत बची थोड़ी-सी रात है।। मैं थक चुका हूँं तुम्हें मार डालूँंगा, स्वयं मर गया वह भी तो आघात है। आखरी चरण में खेल रहा हूँं देखो, देशभक्ति काँटों से सजी बारात है। दर-दर की ठोकरें पुरस्कार हैं भाई, … Read more