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दीपक

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

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दीपक गहरी सोच में डूबा हुआ था। उसकी आँखों में कई दृश्य नृत्य कर रहे थे। वह अपने चिंतन में महान व्यक्तित्वों के सफर का मूल्यांकन कर रहा था और उनके पथ पर बिखरे काँटों व कीलों की संख्या की गणना करने का अथक प्रयास कर रहा था।
एकाएक उसकी आँखों के सामने गंदगी के ढेर से उठाकर कुछ खाते हुए पागल के दृश्य ने महान व्यक्तियों के मूल्यांकन कर रहे दिमाग को अपने प्रभाव में ले लिया। लाख प्रयासों के बावजूद पागल का दृश्य महानता पर भारी पड़ा,जिससे दीपक कराह उठा, “काश समाज महान व्यक्तियों की यात्रा में उन्हें चुभे काँटों व कीलों के कष्ट को अनुभव कर सकता और महानता की मंजिल पर विजय ना पाने के फलस्वरूप हुए पागल की वेदना को समझने में समर्थ होता ?”
दीपक की अंतरात्मा तक चीख पड़ी और वह चढ़ते सूर्य को निहारते हुए जिंदाबाद….जिंदाबाद के लग रहे नारों वाले जलूसों में कहीं लुप्त हो गया।

परिचय-इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैl इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैl वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैl राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैl कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंl आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैl प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंl कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंl अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैl प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

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