पानी बिन जग सूना
अनिल कसेर ‘उजाला’ राजनांदगांव(छत्तीसगढ़) ****************************************************************************** ऐ मालिक देख, फिर तेरी बात हो रही। ख़ुद की करनी भोग रहे, और रब से फरियाद कर रहे। पेड़ काट-काट कर, हमने अपनी औकात दिखाई। जब प्राण फंसे संकट में, कहते खुदा तू हरजाई। कहीं पानी से हाहाकार मचा, कहीं बूंद-बूंद में जीवन फंसा। धरती प्यासी-प्राणी प्यासे, देख हाल … Read more