अनिल कसेर ‘उजाला’
राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)
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कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष……….
सरफरोशी की तमन्ना
आज भी हमारे दिल में है,
कारगिल विजय पर हमारी
बातें होती हर महफ़िल में है।
नापाक इरादे से जो
सरहद पे रक्खे कदम,
तोड़ कर उनके इरादे
कर देंगे उन्हें वहीं दफन।
भगतसिंह-सा संकल्प कर
मनजीत ने दिल में ठान के,
हँसते-हँसते वतन के वास्ते
तिरंगे को बना लिया कफ़न।
मादरे वतन के आगे
कारगिल की ऊँचाई है कम,
देख सैनिकों का हौंसला
गोला-बारूद भी चूमे कदम।
दुनिया ने देखा हमारा दम
साँसें जब तलक है लड़ते हम,
देख कर हमें,मौत को भी
लौट जाना पड़ता हरदम।
सरफ़रोशी की…,
बातें होती हर महफ़िल में है॥
परिचय –अनिल कसेर का निवास छतीसगढ़ के जिला-राजनांदगांव में है। आपका साहित्यिक उपनाम-उजाला है। १० सितम्बर १९७३ को डोंगरगांव (राजनांदगांव)में जन्मे श्री कसेर को हिन्दी,अंग्रेजी और उर्दू भाषा आती है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी)तथा पीजीडीसीए है। कार्यक्षेत्र-स्वयं का व्यवसाय है। इनकी लेखन विधा-कविता,लघुकथा,गीत और ग़ज़ल है। कुछ रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-सच्चाई को उजागर करके कठिनाइयों से लड़ना और हिम्मत देने की कोशिश है। प्रेरणापुंज-देशप्रेम व परिवार है। सबके लिए संदेश-जो भी लिखें,सच्चाई लिखें। श्री कसेर की विशेषज्ञता-बोलचाल की भाषा व सरल हिन्दी में लिखना है।