धर्मपत्नी
केवरा यदु ‘मीरा’ राजिम(छत्तीसगढ़) ******************************************************************* मैं नारी ही धर्मपत्नी हूँ, मैं प्रियतम की संगिनी हूँ मैं साजन का प्यार हूँ, मैं ही घर-परिवार हूँl मैं सावन की फुहार हूँ, मैं ही बासंती बयार हूँ मैं दुल्हन बनकर आती हूँ, मैं दो कुल को महकाती हूँl मैं बाबुल को छोड़ आती हूँ, मैं माँ का आँगन … Read more