पुरुष और पुरुषत्व

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* जहां नारियां पूजी जाती, आज वहां कोहराम है क्यों ? कभी कलंकित हो ना नारी, लगता नहीं विराम है कर्मों ? बन बैठा है पुरुष दु:शासन, कृष्ण कहां पर चला गया ? बीच सड़क पर जलती नारी, ‘पुरुषत्व’ पुरुष का कहां गया। अपनी रक्षा खुद करने, नारी को स्वयं … Read more

वीर सिपाही की ललकार

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- भारत में पैदा होकर के मैं इसको नहीं लजाऊँगा, सौगन्ध मुझे है मिट्टी की,मैं खेल मौत से जाऊँगा। दे बलिदान देश भक्तों नें इसकी आन बचाई है, राणा प्रताप से वीरों ने रोटियाँ घास की खायी है। उन बलिदानी वीरों में मैं अपना नाम लिखाऊँगा, सौगन्ध मुझे है… दुश्मन … Read more